हनुमानगढ़ी मंदिर के नीचे फूल माला की दुकान सजी है। यहां बालेश्वर सैनी से पत्रिका संवाददाता ने पूछा-अब फैसला आने वाला है। कैसा महसूस कर रहे हैं। सैनी ने जवाब दिया- अब सभी को उस नई सुबह का इंतजार है जब इस बड़े विवाद पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी और मंदिर मस्जिद का झगड़ा खत्म हो जाएगा। अयोध्या के विकास का मार्ग रामलला से होकर ही गुजरता है इसलिए अयोध्या में रामलला के मंदिर के निर्माण से अयोध्या के सर्वांगीण विकास को मदद मिलेगी। सैनी युवा हैं। मंदिर बनेगा तो क्या होगा ? इस सवाल पर वे कहते हैं कि इससे पर्यटन बढ़ेगा, अयोध्या का विकास होगा, लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा सभी आसानी से रोजी रोटी कमा सकेंगे। मुद्दे का समाधान हो गया तो सरकार का ध्यान अन्य समस्याओं पर जाएगा।
मंदिर प्रांगण के बाहर रोड किनारे कंठी-माला बेच रहे जमीर उल्ला कहते हैं-अयोध्यावासियों में इस विवाद को लेकर कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही। झगड़ा दशकों साल पुराना है। न हिंदू और न ही मुसलमान को मंदिर और मस्जिद से कोई गुरेज नहीं है। हां, इतना जरूर है यह झगड़ा जल्दी खत्म हो जाए। तो सभी को राहत मिले। आगे बढऩे पर प्रसाद की दुकान पर बैठे श्याम बाबू गुप्ता बताते हैं कि अयोध्या में रोजी-रोटी का सबसे बड़ा साधन यहां का पर्यटन है। पर्यटन तभी बढ़ेगा जब अयोध्या का विकास होगा। अयोध्या का विकास तभी होगा जब अयोध्या में मंदिर-मस्जिद का झगड़ा खत्म होगा। सुरक्षा के नाम पर पाबंदियां समाप्त होंगी। अब सभी को उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट अपना सार्थक फैसला देगा। और यह झगड़ा समाप्त हो जाएगा।
होटल व्यवसाय से जुड़े अनूप गुप्ता कहते हैं अयोध्या में हमेशा से शांति रही है। बाहर से आने वाले लोग अतिरेक में आकर यहां हंगामा न करें तो रामनगरी शांतप्रिय शहर है। सुरक्षा के भारी भरकम इंतजाम यहां के लोगों को डराते हैं। उनमें दहशत पैदा करते हैं। अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई है। जबकि, अभी यहां का माहौल बिल्कुल शांत है। धारा 144 को लेकर टीवी और अखबारों में खबरें आने पर न सिर्फ बाहर के लोग बल्कि अयोध्यावासी भी तनाव में हैं कि आखिर यहां ऐसा क्या होने वाला है। फिर भी भले ही पूरे देश में अयोध्या बहस का मुद्दा है। लेकिन रामनगरी फिलहाल शांत है।
तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी कहते हैं कि अयोध्या की पहचान धार्मिक नगरी के रूप में है। यहां के मंदिर और मेले साल भर की अर्थव्यवस्था तय करते हैं। रामलला से किसी मुसलमान को भी कभी कोई गुरेज नहीं रहा, क्योंकि रामलला ही तो सबके साथ उनकी भी रोजी-रोटी तय करते हैं। भगवान राम के नाम पर यहां सालभर में 6 बड़े मेले लगते हैं। इनकी वजह से न सिर्फ हिंदू बल्कि बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी रोजगार मिलता है। अयोध्या में मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा मंदिरों में चढऩे वाले फूल के कारोबार से जुड़ा है। साधु-संतों के खंडाऊ की अधिकतर दुकानें मुस्लिमों की हैं। इसलिए हिंदू-मुसलमान को इस विवाद से कोई लेना देना नहीं है। यह एक राजनीतिक मुद्दा है। लगता है जल्द ही यह राजनीतिक मुद्दा भी समाप्त होगा और आपसी सौहार्द कायम रहेगा।