पार्टी की बैठक के बाद इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी यादव ने इस कानून के विरोध की योजना पर लगाम लगा दिया। पार्टी की बैठक के बाद इसी बदले स्टैंड के तहत तेजस्वी यादव ने भारत बंद के आयोजन को आर.एस.एस और भाजपा के मत्थे डाल दिया। उन्होंने इसे लेकर यह भी कहा कि भाजपा और आर.एस.एस समाज में फूट डालकर लोगों को लड़ाना और आरक्षण खत्म कर देना चाहती है। इसे किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
बता दें कि भारत बंद के दौरान जय सवर्ण,जय ओबीसी के नारे आरजेडी खेमे से ही लगाए गये थे। लेकिन पार्टी ने महसूस किया कि 17 फीसदी एससी/एसटी आधार को यूंही विरोध में खड़ा कर देना पार्टी के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है। लालू यादव के प्रादुर्भाव के साथ ही सामाजिक न्याय के नारे बुलंद हुए तो पिछड़ों में जागृति आई। पर इसमें 15फीसदी यादव वोट बैंक को साथ जोड़ने में लालू प्रसाद कामयाब रहे। इसके साथ मुस्लिम समुदाय भी वोट बैंक का हिस्सेदार बना। लेकिन नीतीश काल में यह वोट बैंक अछूता नहीं रहा और 2014 में यह नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने के साथ ही ध्वस्त हो गया। 2019में वोटों के समीकरण किस स्वरूप में सेट होंगे, यह कहना अभी से कठिन लग रहा है।
लिहाजा आरजेडी ने दलित विरोध का स्टैंड छोड़ अब यह कहना बेहतर समझा कि एससी/एसटी ऐक्ट से छेड़छाड़ अब बर्दाश्त नहीं होगा। इस योजना के तहत ही भाजपा को ऐक्ट विरोधी और आरक्षण विरोधी बताकर घेरने की रणनीति बनाई गई है। हालांकि आरजेडी को यह अच्छी तरह पता है कि ऐक्ट की गैर जमानती धाराओं का शिकार ओबीसी खासकर यादव समुदाय भी उतना ही होगा जितना कि सवर्ण जातियों के लोग इससे प्रभावित होंगे।