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अमरीका के साथ शांति वार्ता की तैयारी में तालिबान

locationनई दिल्लीPublished: Sep 11, 2018 09:45:08 pm

Submitted by:

Prashant Jha

तालिबान अफगानिस्तान में संघर्ष समाप्ति के मुद्दे पर अमरीकी प्रतिनिधिमंडल के साथ बात करने की तैयारी कर रहा है।

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अमरीका के साथ शांति वार्ता की तैयारी में तालिबान

काबुल: तालिबान अफगानिस्तान में संघर्ष समाप्ति के मुद्दे पर अमरीकी प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के लिए अपने प्रतिनिधिमंडल को भेजने की तैयारी कर रहा है। बैठक में कैदियों की अदला-बदली पर विचार होने की संभावना है। इस प्रक्रिया से जुड़े दो अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर मीडिया से कहा कि तालिबान नेता बैठक में तीन व चार लोगों के प्रतिनिधिमंडल को तैयार करने पर चर्चा कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि तालिबान कैदियों की अदला-बदली पर चर्चा करना चाहेगा और अगर अमरीका ने कैदियों को रिहा करने के मामले में गंभीरता दिखाई तो तालिबान एक और बैठक आयोजित कर सकता है। प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने मीडिया से कहा, “यह बैठक भविष्य की वार्ता का निर्धारण करेगी और हम देखेंगे कि क्या अमेरिका वार्ता को लेकर गंभीर है।”

तालिबान के प्रमुख नेता भी कर चुके हैं वकालत

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीने पहले तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा ने अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए अमरीका के साथ सीधी बातचीत का प्रस्ताव दिया था। अखुंदजादा ने एक संदेश में कहा, “अगर अमरीकी अधिकारी वास्तव में अफगानिस्तान संकट के शांतिपूर्ण समाधान में विश्वास करते हैं तो उन्हें सीधी बातचीत के मेज पर आना चाहिए, ताकि इस त्रासदी (हमले) को बातचीत से हल किया जा सके। इस त्रासदी से मुख्य तौर पर अमरीकी और अफगान लोगों को नुकसान पहुंच रहा है।”उन्होंने कहा, “हम उन्हें अफगानिस्तान की जेलों में बंद कैदियों की सूची सौपेंगे। अगर वे हमारे कैदियों को रिहा करेंगे तो हम एक और बड़ी वजह को लेकर दोबारा मुलाकात करेंगे।”

अमरीकी अपनाता अड़ियल रवैया

स्थानीय मीडिया के अनुसार, तालिबान का सर्वोच्च नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा ने कहा कि अमरीकी अधिकारियों की तरफ से सबसे बड़ी गलती यह है कि वे हर समस्या के साथ अड़ियल रवैया अपनाते हैं, लेकिन सेना हर मामले में परिणाम नहीं दे सकती।” उसने कहा कि, “इन सभी आपदाओं से खुद को बचाने का एकमात्र रास्ता यही है कि सभी अमरीकी और यहां काबिज अन्य सेनाएं हमारे देश को छोड़ दें, ताकि यहां एक स्वतंत्र, इस्लामिक, शुद्ध अफगानी सरकार की जड़ें मजबूत हों।”

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