scriptसिंगापुर: डिस्क जॉकी ने ‘समलैंगिकता’ पर लगी रोक को अदालत में दी चुनौती | Singapore: Disc jockeys challenge the ban on 'homosexuality' in court | Patrika News

सिंगापुर: डिस्क जॉकी ने ‘समलैंगिकता’ पर लगी रोक को अदालत में दी चुनौती

Published: Sep 12, 2018 07:42:05 pm

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

भारत में समलैंगिकता पर ऐतिहासिक फैसले के बाद सिंगापुर के एक ‘डिस्क जॉकी’ ने ‘समलैंगिकता’ पर लगी रोक के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

singapore

सिंगापुर: डिस्क जॉकी ने ‘समलैंगिकता’ पर लगी रोक को अदालत में दी चुनौती

हाल ही में समलैंगिकता पर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया। जिसमें ‘समलैंगिकता’ को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- इसी से उत्साहित होकर सिंगापर के एक ‘डिस्क जॉकी’ ने सिंगापुर में गे सेक्स पर रोक को अदालत में चुनौती दी है। रिपोर्ट के अनुसार- जॉनसन ओंग मिंग (43) नाम के व्यक्ति ने अदालत में मामला दाखिल किया है। रिपोर्ट के अनुसार- वे दलील देंगे कि धारा 377(ए) को रद्द किया जाए। यह सिंगापुर के संविधान से असंगत है।
ये भी पढ़ें: ट्रंप की सुरक्षा में तैनात होंगे लुधियाना के बेटे अंशदीप सिंह भाटिया, लड़नी पड़ी थी कानूनी लड़ाई

बता दें, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सहमति से गे सेक्स को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था। कोर्ट ने इसे स्वतंत्र और सहिष्णु समाज की दिशा में एक अहम कदम करार दिया था।
मीडिया में एलजीबीटीक्यू समूहों को प्रतिनिधित्व नहीं

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- मिंग ने कहा कि एलजीबीटीक्यू समूहों का मुख्यधारा की मीडिया में सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं होता है। इसी वजह से उन्होंने अदालत जाने का निर्णय लिया है। इस समुदाय के लोगों को संसाधनों के अभाव में अकेलेपन में जीवन गुजारना पड़ता है, जो बेहद तनावपूर्ण होता है। मिंग ने कहा कि- ‘अहम बात यह है कि मैं एक अपराधी नहीं हूं। मैं नहीं चाहता हूं कि अपने देश में पूरी जिंदगी एक अलग रूप में पेश किया जाऊं। ऐसा रवैया मनोवैज्ञानिक तौर पर भी परेशान करता है। ऐसे लोग जीवन भर सोचते रहते हैं कि वे दूसरों से कमतर हैं।’
ये भी पढ़ें: लंदन कोर्ट में विजय माल्या का बड़ा खुलासा, कहा- देश छोड़ने से पहले वित्त मंत्री से मिला था

ये था भारतीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बता दें कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने समलैंगिकता के मुद्दे पर आईपीसी की धारा-377 के उन प्रावधानों को अवैध करार दिया, जिसके तहत समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखा जाता था। इसके तहत अभी तक सजा का प्रावधान था।
ये भी पढ़ें: पाकिस्तान: सर्वोच्च न्यायालय में 2 ट्रांसजेंडर्स को नौकरी, प्रधान न्यायाधीश ने किया ऐलान

आईपीसी की धारा 377

1861 में आईपीसी की धारा 377 बनाई गई थी। इसके तहत यदि कोई प्रकृति के खिलाफ आम सहमति से किसी पुरुष, महिला या पशु से अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा हो सकती है या उसको 10 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट ने इसके आंशिक हिस्से को अवैध करार दिया है। पशुओं और बच्चों के साथ बनाए गए अप्राकृतिक संबंध अभी भी अपराध के दायरे में ही आएंगे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो