यामीन ने भी रखा था बातचीत का प्रस्ताव बता दें, इससे पहले यामीन ने स्वयं विपक्ष के साथ बातचीत का प्रस्ताव रखा था। इस पर पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने UN के महासचिव गुरेरेस को पत्र लिखकर मामले में मघ्यस्थता करने की अपील की थी। विपक्षी नेताओं को यामीन के प्रस्ताव को चाल करार दिया था। उनका मानना है कि यामीन मामले के हल के लिए यह प्रस्ताव नहीं रख रहे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। आपातकाल के बारे में यूएन के महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मालदीव की स्थिति पर नजर रख रहा है और इसे लेकर चिंतित है।
30 और दिनों के लिए बढ़ाया आपातकाल मालदीव में उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया था, जब 1 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और 8 अन्य नेताओं को दोषी ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया था। राष्ट्रपति यामीन ने कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार करते हुए 15 दिन के लिए आपातकाल घोषित कर दिया था। इस दौरान कई नेताओं समेत मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद 15 दिन पूरे होने से पहले ही आपातकाल को 30 और दिनों के लिए बढ़ा दिया। अमरीका और भारत समेत दुनिया के अन्य देशों ने भी आपातकाल के बढ़ाए जाने पर नाराजगी जताई थी।
संयुक्त विपक्ष ने कहा आपातकाल असंवैधानिक मालदीव में संयुक्त विपक्ष ने भी आपातकाल को असंवैधानिक करार दिया था। विपक्ष के नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने कहा कि इमरजेंसी को लागू करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया है। राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल के लिए सांसदों की निर्धारित संख्या भी नहीं जुटा सके। इसलिए आपातकाल असंवैधानिक है। इस दौरान लागू किए गए नियम भी असंवैधानिक है, इसलिए आपातकाल के दौरान नजरबंद किए गए लोगों को भी तुरंत मुक्त किया जाना चाहिए। सोलिह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति यामी ने देश को हाईजैक कर लिया है। साथ ही मांग की कि संसद का
काम ठीक ढंग से चलाने के लिए राष्ट्रपति को संसद से सेना हटा लेनी चाहिए।