Trade deficit को लेकर दोनों देशों में बढ़ते मतभेदों को लेकर भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चिंता व्यक्त की है
अमरीका-चीन जैसे ट्रेडवार में बदल सकता है भारत-चीन का व्यापार असंतुलन
PM Narendra Modi and China President Xi Jinping
बीजिंग। भारत और चीन के संबंध इन दिनों बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। दोनों देशों के बीच दिनों-दिन बढ़ता व्यापार असंतुलन कब ट्रेड वार का रूप ले ले, यह कहा नहीं जा सकता। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने व्यापार घाटे को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भारत- चीन के बीच चल रही यह समस्या जल्द राजनीतिक रूप ले सकती है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चीन और अमरीका के बीच व्यापार युद्ध काफी दिनों से चल रहा है। ऐसे में भारत चीन की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है।
भारत चाहता है उसके कृषि उत्पादों का निर्यात चीन में हो। चावल, मछली, खाना बनाने वाले तेल, तंबाकू की पत्तियां आदि के निर्यात के लिए कई तरह के समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। मिस्री का कहना है कि इसके अलावा भी कई ऐसे प्रोजेक्ट पर मुहर लगना बाकी है। दोनों देशों के बीच दो तरफ व्यापार हकीकत में नहीं बदल सका है। उन्होंने कहा कि यह चीन की सरकार के लिए चुनौती है कि वह व्यापार घाटे को कम करें। भारत से लंबे समय तक व्यापार करने के लिए चीन को बेहतर प्रयास करने होंगे ताकि ये मुद्दा राजनीति रंग न ले ले।
पाकिस्तान सरकार का बड़ा फैसला, अमरीका यात्रा के दौरान महंगे होटलों में नहीं रुकेंगे इमरान खानहांगकांग के साथ घाटा बढ़ा भारत के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते साल चीन में व्यापार घाटा 10 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 53.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया था, लेकिन हांगकांग के साथ घाटा बढ़कर 5 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ गया था। दो साल पहले चीन और भारत डोकलाम में दो महीने के बॉर्डर स्टैंड में तनाव में थे, लेकिन तब से संबंधों को फिर से बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
क्या चाहता है भारत भारत चाहता है कि है कि जिस तरह से चीन ने भारत में आकर अपना व्यापार फैलाया है। वैसा ही भारत भी चीन से अपेक्षा रखता है। दोनों के बीच में आयात निर्यात का अंतर काफी ज्यादा है। एक तरफ चीन भारत के पारंपरिक त्योहारों में भी सेंध लगा चुका है। वहीं भारत के कृषि उत्पाद भी चीन में निर्यात नहीं किए जा रहे हैं।