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नोटरी पर मंदिर की सरकारी जमीन खरीद बन रहे थे -मकान, जेसीबी लेकर पहुंचे प्रशासन ने ढ़हाए

locationअशोकनगरPublished: Feb 11, 2019 08:08:51 am

Submitted by:

Arvind jain

जिस जमीन के प्रबंधक खुद कलेक्टर, वह जमीन फर्जी तरीके से बिकी।

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नोटरी पर मंदिर की सरकारी जमीन खरीद बन रहे थे -मकान, जेसीबी लेकर पहुंचे प्रशासन ने ढ़हाए

अशोकनगर. जिले में सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-बिक्री का काम बेरोकटोक जारी है। हालत यह है कि जिस जमीन के प्रबंधक खुद कलेक्टर होते हैं, लेकिन लोगों ने मंदिरों की उसी जमीन को अवैध रूप से बेच दिया और सरकारी जमीनों पर मकान बन गए।
प्रशासन ने ऐसे ही आठ निर्माणाधीन मकानों और अतिक्रमणों व एक बनकर तैयार हो चुके मकान को जेसीबी से धरासाई कर दिया। साथ ही लोगों को उस जमीन पर निर्माण न करने की चेतावनी भी दी है।
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मामला शहर के लंबरदार मोहल्ला स्थित धनुषधारी मंदिर का है। मंदिर की माफी औकाफ की नहर कॉलोनी स्थित जमीन पर प्रशासन को मकानों के निर्माण होने की जानकारी मिली।

इससे एसडीएम नीलेश शर्मा, तहसीलदार इसरार खान रविवार को सुबह 11 बजे नपा कर्मचारी और पुलिस बल के साथ मौके पर जेसीबी लेकर पहुंचे। प्रशासन को आते देख लोगों ने अपने निर्माणाधीन मकानों का निर्माण तेज कर दिया।
जहां एक मकान पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका था और दो मकानों में सिर्फ छत डालने का काम शेष था, वहीं अन्य मकानों के पिलर तैयार थे और दीवार बनाने का चल रहा था। इसके अलावा दो जगह पर फर्शियां लगाने का काम चल रहा था।
जिन्हें प्रशासन ने जेसीबी से तुड़वा दिया। साथ ही निर्माणाधीन मकानों के बीम और पिलरों को भी जेसीबी से हटाकर फैंक दिया। अपने मकानों को गिरता देख लोग जेसीबी के सामने आए तो पुलिस ने सख्ती से उन लोगों को वहां से हटा दिया।

92 बीघा में से मौके पर बची सिर्फ 25 बीघा जमीन-
माफी औकाफ के दस्तावेजों में इस मंदिर के पास 21 सर्वे नंबरों में 19.362 हेक्टेयर (करीब 92 बीघा 13 बिस्वा) जमीन दर्ज है, जिसमें ज्यादातर सर्वे नंबर बस स्टैंड के आसपास हैं। लेकिन हकीकत में मंदिर की जमीन पूरी तरह पर कॉलोनियां बन चुकी है। तहसीलदार इसरार खान के मुताबिक मौके पर सिर्फ 25 बीघा जमीन ही बची हुई है। इससे अब सर्वे कराया जाएगा कि कितनी जमीन पर अतिक्रमण हो गया है और सर्वे के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी।

बड़ा सवाल: सरकारी जमीन की बिक्री की कैसे हो रहीं नोटरियां…
मंदिर की इस सरकारी जमीन को बेचने के लिए रजिस्ट्री हो नहीं सकती, इसलिए लोग इसे नोटरी के माध्यम से बेच रहे हैं और खरीदारों ने अपने मकान बना लिए हैं। रविवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान कई लोगों ने वह नोटरी पत्र भी प्रशासन को प्रस्तुत किए।
जिसमें उन्होंने इस जमीन खरीदने का दावा किया है। दो नोटरी पत्रों में बेचने वाले का नाम कमलदास बैरागी दर्ज है, जो खुद को इस जमीन का मालिक बताता है। इससे अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इस सरकारी जमीन की नोटरी के माध्यम से बिक्री कैसे हो रही है और प्रशासन सरकारी जमीन की बिक्री वाली नोटरियों पर गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहा है।

स्पीक आउट- सुनिए उन्हीं की जुबानी


दो साल पहले सवा लाख रुपए में जमीन खरीदी और बिक्री की नोटरी भी हुई। आज फर्शियां लगा रहे थे, प्रशासन ने सब तोड़ दिया और जब वहां पहुंचे तो पुलिस ने भगा दिया। यदि नोटरी फर्जी है तो नोटरी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
– सरदारसिंह, रहवासी

मेहनत मजदूरी करके पाई-पाई जोड़ 80 हजार में जगह खरीदी, 40 हजार रुपए लेकर कमलदास बैरागी ने चार महीने पहले नोटरी पर बिक्री पत्र लिखा। प्रशासन ने फर्शियां तोड़ दी है।
– भूरीबाई, रहवासी

रिजौदा गांव की चार बीघा जमीन बेच दोनों बहुओं के नाम से दो प्लॉट लिए थे, जिसका नोटरी पर बिक्री पत्र लिखा है। मकान का निर्माण करा रहे थे और ढ़ाई लाख रुपए खर्च हो गए। प्रशासन ने पिलर और दीवारों को भी तोड़ दिया। अब कहां रहेंगे।
– हल्कूराम केवट, रहवासी
पांच साल पहले नंदकिशोर के पास यह प्लॉट था, दो साल पहले हमने खरीदा है। जिस पर मकान बनवा रहे थे और सिर्फ छत डलना बाकी था, अधिकारियों ने सब तोड़ दिया है। इससे खर्च हुए लाखों रुपए का नुकसान हो गया।
– गोविंदसिंह, झागर गांव


मंदिर के पुराने और नए पुजारियों में विवाद चल रहा था, मंदिर के पास करीब 25 बीघा जमीन ही बची है। अवैध बिक्री होने और अतिक्रमण होने की शिकायत मिली, तो आठ निर्माणाधीन मकान सहित एक तैयार हो चुके मकान को जेसीबी से गिरा दिया है। जमीन बिक्री की दो नोटरी भी हमें मिली हैं, जिनमें ेबेचने वाले का नाम कमलदास बैरागी दर्ज है। जांच कराई जा रही है और शेष जमीन का सर्वे कराया जा रहा है, सर्वे के बाद कार्रवाई की जाएगी। 
– इसरार खान, तहसीलदार अशोकनगर
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