लागू करने की योजना
जिले में अभी जमीनों का ऑनलाइन रिकॉर्ड एनआईसी सॉफ्टवेयर पर था, लेकिन अब सॉफ्टवेयर को बदलकर वेब जीआईएस लागू होना है। इसके लिए पटवारियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है और लॉग-इन आईडी भी पटवारियों की बन चुकी हैं। भू-अभिलेख विभाग द्वारा जल्दी ही जिले में इसे लागू करने की योजना है।
सॉफ्टवेयर पर पहुंच जाएगा
इससे जमीनों का ऑनलाइन रिकॉर्ड एनआईसी सॉफ्टवेयर की जगह वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर पर पहुंच जाएगा। लेकिन पटवारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया हे और इस सॉफ्टेवयर में पुराना रिकॉर्ड दर्ज होने से जमीनों के रिकॉर्ड में गड़बड़ी होने और पटवारियों की समस्या बढऩे की आशंका बताई जा रही है।
यह बताई जा रही है सॉफ्टवेयर में समस्या-
वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर में जिले का जमीनों का जून 2018 का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। उस रिकॉर्ड को 14 महीने बीत चुके हैं। पटवारियों का कहना है कि मेप आईटी ने सॉफ्टवेयर में यह रिकॉर्ड दर्ज किया और जिला प्रशासन द्वारा दो-दो बार भू-अभिलेख विभाग को सीडी के माध्यम से अपडेट डाटा भी भिजवाया गया, लेकिन मेप आईटी ने अपडेट डाटा सॉफ्टवेयर में दर्ज नहीं किया। वहीं भू-अभिलेख कार्यालय द्वारा अब जल्दी ही इस सॉफ्टवेयर को जून 2018 के रिकॉर्ड के साथ ही लागू करने की तैयारी हो चुकी है।
14 महीनों में हो चुके 35 हजार संसोधन
जून 2018 से जिलेभर में अब तक नामांतरण, फोती नामांतरण, बंटवारा, नाम संसोधन, राजस्व प्रकरणों के अनुसार संसोधन और बंधक व बंधकमुक्त सहित समस्त प्रकार की करीब 35 हजार प्रविष्टियां हो चुकी हैं। जो अभी एनआईसी के सॉफ्टवेयर पर तो दर्ज हैं, लेकिन जून 2018 के रिकॉर्ड के साथ वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर लागू होते ही जिले की जमीनों के यह 35 हजार संसोधन सॉफ्टवेयर में दर्ज नहीं रहेंगे। इससे जमीनों का ऑनलाइन रिकॉर्ड जून 2018 की स्थिति में हो जाएगा।
यह समस्याएं बढऩे की है आशंका-
– रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से कई पटवारी सभी संसोधनों का मेन्यूअल रिकॉर्ड नहीं रखते हैं, तो कई पटवारियों के उन हल्कों से ट्रांसफर हो चुके हैं।
– कई जमीनें इन 14 महीनों में कई जगह बिक चुकी हैं, लेकिन फिर से रिकॉर्ड में 14 महीना पुराने मालिक के नाम ही दर्ज मिलेंगी।
– इससे उन जमीनों की फिर से खरीद-फरोख्त होने की आशंका है, जबकि वर्तमान सॉफ्टवेयर में वह जमीनें वर्तमान जमीन मालिक के नाम दर्ज हैं।
– इन 14 महीने के बीच हुई प्रविष्टियों को पटवारियों को दोबारा से सॉफ्टवेयर पर दर्ज करना पड़ेगा, इससे लंबे समय तक के लिए जमीन संबंधी सभी काम रुक जाएंगे।
– वहीं जो किसान बैंकों में जमीन बंधक रखकर लोन ले चुके हैं या जमीनों को बंधकमुक्त करा चुके हैं, वह भी पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ही दिखेगी।
पहले एनआईसी पर काम होता था और वेब जीआईएस लागू हो गया। जिसे बंद कर फिर से एनआईसी पर काम कराने लगे। डेढ़ साल पुराने रिकॉर्ड के साथ फिर से वेब जीआईएस लागू किया जा रहा है। पटवारियों की मांग है कि पिछले डेढ़ साल का रिकार्ड अपडेट करके वेब जीआईएस लागू करें और ज्ञापन में भी यही मांग की थी।
कालूराम मेहरा, जिला कार्यकारी अध्यक्ष पटवारी संघ अशोकनगर
डाटा रीस्टोर करने के लिए बात कर रहे हैं, उस डाटा को अपडेट करेंगे। पटवारियों ने भी यह मुद्दा उठाया था, इस पर हमने कंपनी से बात की थी और उन्हें यह बताया था। डाटा रीस्टोर कराकर अपडेट डाटा के साथ ही लागू कराएंगे।
डॉ.मंजू शर्मा, कलेक्टर अशोकनगर