जहां पहले समिति प्रबंधक उड़द की खरीद करने के लिए तैयार नहीं थे। इसके लिए समिति प्रबंधकों ने अधिकारियों को लिखित में स्पष्ट रूप से खरीदी से इंकार कर दिया था। खाद्य विभाग के संचालक ने आदेश जारी कर पिछले दो साल में गेहूं की जमा-खरीद में 0.25 प्रतिशत का अंतर पाए जाने वाली समितियों को खरीदी से हटाने के निर्देश दिए थे।
इससे जिले की 28 समितियां बाहर हो गई थीं और जिले में उड़द के लिए मात्र 24 खरीदी केंद्र ही बचे थे। लेकिन संचालक खाद्य के दूसरे आदेश में चना-मसूर की खरीदी में 0.25 प्रतिशत का जमा-खरीद में अंतर पाए जाने वाली समितियों को भी खरीदी से हटाने के निर्देश दिए हैं। इससे ज्यादातर समितियां खरीदी से बाहर हो जाएंगी।
इससे जिलें में बहुत कम ही समितियां ऐसी बची हैं, जो खरीदी में डिफॉल्टर नहीं है लेकिन उन समितियों को पहली बार खरीदी करना होगी। इससे अनुभव न होने की वजह से खरीदी में परेशानी बढऩे की आशंका है। हालांकि इस आदेश के बाद विभाग ने अभी खरीदी शुरू कराने की योजना को फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
अब कलेक्टर करेंगी निर्णय…
इस नए आदेश के बाद खाद्य विभाग के कार्यालय में बुधवार को एक घंटे तक जिला उपार्जन समिति की बैठक चली। इस बैठक में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक महाप्रबंधक, सहकारिता उपसंचालक, डीएमओ, जिला आपूर्ति अधिकारी और वेयर हाउसिंग के अधिकारी शामिल रहे।
लेकिन एक घंटे की बैठक में नए खरीदी केंद्रों का निर्णय नहीं हो सका। इससे अब मामला कलेक्टर के पास भेजा जाएगा और इस पर कलेक्टर निर्णय लेंगी कि किन समितियों को हटा सकते हैं और किन को खरीदी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।