ब्लॉक मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित कदवाया गांव ऐतिहासिक और धार्मिक क्षेत्र में गिना जाता है। बताते हैं कि बीजासन माता के दर्शनों के लिए सैंकड़ों श्रद्धालु हर दिन कदवाया पहुंचते हैं और बीजासन माता के दरबार में माथा टेकने के अलावा ऐतिहासिक महत्व के मुरायतें, गढ़ी और अन्य स्थानों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।
बताते हैं कि अब तो पर्यटकों के कुनबे में विदेशी लोगों का कुनबा भी जुड़ गया है। यही कारण है कि बीते एक साल में तमाम विदेशी पर्यटक कदवाया पहुंच चुके हैं। कदवाया के युवा इतिहासकार हेमंत दुबे की मानें तो यातायात की सुविधा पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रमुख जरिया मानी जाती है।
लेकिन ऐतिहासिक और धार्मिक गांव लंबे समय से सड़कों की समस्या से जूझ रहा है। हालांकि, कदवाया से खनियाधाना, पिछोर के लिए सड़क का निर्माण चल रहा है। लेकिन पर्यटक पहले चंदेरी पहुंचते हैं, फिर यहां से कदवाया। यही कारण है कि ईसागढ़-कदवाया की सड़क पर्यटकों के लिए काफ ी महत्वपूर्ण है।
15 किमी की दूरी तय करने में लगता है एक घंटा
ब्लाक मुख्यालय से कदवाया तक की दूरी महज 15 किमी है। लेकिन इस दूरी को तय करने में कई वाहनों को एक घंटा तक का समय लग जाता है। दरअसल ईसागढ़ से कदवाया तक सालों पहले बनाई गई सड़क की हालत बेहद जर्जर है। जिससे कदवाया तक पहुंचना लोगों को किसी चुनौती से कम नहीं लगता।
साथ ही जर्जर सड़क के कारण दुर्घटना की आशंका भी हर समय बनी रहती है। सड़क से जुड़े गहौरा, मनहेटी के अलावा अन्य गांवों के लोगों ने बताया कि सड़क पर कई स्थानों पर बड़े-बड़े गड्डे बन गए हैं। जिससे यात्री वाहन निकलते समय झूल जाते हैं। इन गड्डों के कारण छोटे-बड़े कई हादसे भी हो चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन सड़क को ठीक करने में कोई रूचि नहीं दिखा रहा है।
चौदस को भरता है मेला, पहुंचते हैं आला अधिकारी
बीजासन माता के दरबार में महीने में हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चौदस तिथि को विशाल मेला भरता है। इस मेले में जिले के अलावा गुना, ललितपुर, सागर, बीना, पिछोर, शिवपुरी, झांसी, दतिया, ग्वालियर और अन्य कई स्थानों से हजारों श्रधालू पहुंचते हैं। खासबात यह है कि पुरातात्विक महत्व के कदवाया कस्बे में महीने में कई बार तमाम आला अधिकारी भी पहुंचते हैं। बावजूद इसके सड़क का सुधार नहीं होना, प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करता है।