108 वाहन में दो चालक पदस्थ
खासबात यह है कि 108 वाहन में दो चालक पदस्थ रहते हैं। इसके अलावा विषम परिस्थितियों में मरीज को अटेंड करने के लिए एक अटैंडर भी रहता है। नईसराय के संजीवनी वाहन में तीनों कर्मचारियों का स्टॉफ है। साथ ही वाहन भी दुरूस्त है। फिर भी वाहन को ऑफ रोड बताना कई सवाल खड़े कर रहा है।
ब्रजेश की तबीयत खराब थी
नईसराय निवासी ब्रजेश पुत्र सोमा कोरी उम्र 32 साल मुख्य बाजार में स्थित चाय की दुकान का संचालन कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। बताते हैं कि बीते दो-तीन दिनों से ब्रजेश की तबीयत खराब थी। इसका वह निजी चिकित्सक से उपचार भी करा रहा था। स्थानीय लोगों की मानें तो आम दिनों की तरह शुक्रवार को भी ब्रजेश ने सुबह अपनी दुकान खोली और चाय बनाना शुरू किया।
सीसी सड़क पर ही गिर गया ब्रजेश
बताते हैं कि सुबह लगभग 8 बजे ब्रजेश एक दुकान पर चाय देकर वापस लौट रहा था। इसी दौरान उसे चक्कर आ गया और वह सीसी सड़क पर ही गिर गया। सड़क पर गिरने से उसके सिर में चोट लग गई। घटना की सूचना मिलते ही ब्रजेश के परिजन मौके पर पहुंच गए और उन्होंने 108 वाहन को कॉल किया। लेकिन कॉल सेंटर द्वारा नईसराय के संजीवनी वाहन को ऑफ रोड़ बता दिया। इसके बाद घायल ब्रजेश को लेकर परिजन सरकारी अस्पताल पहुंचे। जहां डाक्टर अजय जाटव ने ब्रजेश का प्राथमिक उपचार किया।
अशोकनगर रैफर कर दिया
घायल ब्रजेश की गंभीर हालत को देखते हुए सुबह 8 बजकर 22 मिनिट पर ब्रजेश को उच्च उपचार के लिए अशोकनगर रैफर कर दिया। परिजनों की मानें तो डाक्टर के रैफर करने के बाद वह 108 वाहन का सवा घंटे तक इंतजार करते रहे। लेकिन वाहन नहीं पहुंचा।
निजी वाहन किराए
इस दौरान ब्रजेश की हालत ज्यादा बिगडऩे लगी तो सुबह लगभग 9.30 बजे उन्होंने निजी वाहन किराए पर लेकर ब्रजेश को अशोकनगर ले जाने का इंतजाम किया। इसी दौरान रास्ते में शाढ़ौरा की ओर से आ रहा 108 वाहन भी मिल गया। निजी वाहन से उठाकर ब्रजेश को 108 वाहन में रखा, लेकिन अशोकनगर पहुंचने के पहले ही घायल ब्रजेश ने रास्ते में दम तोड़ दिया।
तीन लोगों का स्टॉफ , वाहन भी फिट-
सूत्रों की मानें तो आपातकालीन सेवाओं के लिए नईसराय भेजे गए 108 वाहन पर तीन लोगों का स्टॉफ है। इनमें दो चालक ग्वालियर निवासी शिवराज सिंह और शिवपुरी निवासी अनुज शर्मा पदस्थ हैं। जबकि मरीज को अटैंड करने के लिए इएमटी पंकज रघुवंशी भी मौजूद रहते हैं। बताते हैं कि गुरूवार तक तीनों कर्मचारी मौजूद थे। वहीं वाहन भी फिट था। बावजूद इसके जरूरत के समय आपातकालीन सेवा को ऑफ रोड़ दर्शाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
108 वाहन को कॉल नहीं करते तो बच जाती मेरे भाई की जान
छोटे भाई की मौत पर बुरी तरह से बिलखते हुए ब्रजेश के बड़े भाई राजू ने बताया कि 108 वाहन को कॉल कर हमने सबसे बड़ी गलती कर दी। हम भले ही पैसों की कहीं से व्यवस्था करते लेकिन भाई को बेहतर उपचार के लिए समय पर और अच्छे अस्पताल लेकर जाते। हमें क्या पता था कि हमारा भाई 40 किमी दूर अस्पताल ही नहीं पहुंच पाएगा। इस संबंध में 108 वाहन के संचालन का जिम्मा संभालने वाले यूसूफ खान से कई बार उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने मोबाइल रिसीव करना भी उचित नहीं समझा।
108 संजीवनी वाहन के संचालन के मामले की उन्हें जानकारी मिल चुकी है। इस मामले में उन्होंने सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक से भी चर्चा की है। मामले में जिसने भी लापरवाही बरती है। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डा. मंजू शर्मा कलेक्टर अशोकनगर