लेकिन अधिकतर स्कूलो के रसोई घरों में मध्यान्ह भोजन तैयार नहीं हो रहा है। इन स्कूलों में स्व सहायता समूह द्वारा घर से बनाकर लाया हुआ। ठंडा खाना बांटा जा रहा है। इस सम्बन्ध में नगर के माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य ने नगर परिषद के सीएमओ को पत्र भी लिखा है।
शासन द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए मध्यान्ह भोजन का कार्य स्व सहायता समूहों को दिया गया था। ताकि समूह की महिलाएं विद्यालय में बने किचन शेड में भोजन निर्माण करने के साथ ही बच्चों को खिलाएं।
वहीं बच्चों को भोजन परोसने से लेकर बर्तन धोने तक के भी सभी कार्य स्व सहायता समूह को ही करना पड़ता है। विद्यालय में स्थित किचन शेड में ही भोजन बनाना इसलिए अनिवार्य किया गया था।
उपस्थित शिक्षक भोजन में कौन सी सामग्री का उपयोग हो रहा है। भोजन मैन्यू अनुसार तैयार हो रहा है या नहीं, बच्चों की उपस्थिति के अनुसार भोजन तैयार करवानाए स्वच्छता का ध्यान रखना आदि कर सकें।
इससे जहां बच्चों को गरमा गरम गुणवत्ता युक्त भोजन मिलेगा। क्योंकि जितनी खपत होगी, उतना ही भोजन बनाया जाएगा। लेकिन अधिकतर विद्यालयों में किचन शेड होने के बावजूद भी मध्यान्ह भोजन समूह द्वारा किसी नियत स्थान पर तैयार किया जाता है।
फिर एक साथ स्कूलों में वितरित किया जाता है। जानकारी अनुसार भोजन समूह द्वारा सुबह 8 बजे से तैयार करना शुरू कर दिया जाता है, जो करीब दस सवा दस बजे तक तैयार हो जाता है।
इसके बाद समूह संचालक या उनके कर्मचारी भोजन को सभी विद्यालयों में बांटकर आता है। वहीं मध्यान्ह भोजन विद्यालय में बच्चों को 1 से 2 बजे के बीच में दिया जाता है। इस कारण बनाने और बच्चों के भोजन करने के समय में करीब 4 से 5 घंटे तक अंतर आने के कारण भोजन काफी ठंडा हो जाता है। जिसे खाने में बच्चों की रूचि भी नहीं रहती। ऐसे में अधिकतर बच्चे खाना छोड़ देते हैं। या घर से टिफि न लेकर आते है।
स्कूल के रसोई घर में खाना बनाने के लिए माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य माधुरी सुमन ने नगर परिषद के सीएमओ को पत्र लिखकर मांग की है कि विद्यालय में गणेश स्वसहायता समूह द्वारा भोजन का वितरण किया जाता है।
जो कि स्कूल के किचन शेड में नही बनाया जाता है, जिसको स्कूल के किचिन शेड में बनबाने के लिए समूह को आदेशित करे। वही उन्होंने बताया कि माध्यमिक विद्यालय में गणेश शंकर विद्यार्थी विद्यालय, कन्या प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 एवं 2 का संविलियन हो गया है।
जिससे अब स्कूल की छात्र संख्या पहले से बढ़कर 450 के आसपास हो गई है। स्कूल अब एक ही स्थान पर लगने से स्कूल प्रांगण के कई भवन खाली हो गए है। जिससे अब जगह की कोई कमी भी नही है, जिससे अब मध्यान्ह भोजन स्कूल प्रांगण में ही बनना चाहिए।
स्कूल से पत्र प्राप्त हुआ था जिसके बाद स्कूल में खाना बनाने के लिए समूह को आदेशित कर दिया गया है, अगर वह स्कूल में खाना नही बनाता है, तो उसको हटा दिया जाएगा।
सतीश मटसेनिया सीएमओ नगर परिषद मुंगावली