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भारतीय मातृभाषाओं को संरक्षण और संवद्र्धन की आवश्यकता, मातृभाषा दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम आयोजित

locationअनूपपुरPublished: Feb 21, 2019 09:08:29 pm

Submitted by:

shivmangal singh

भारतीय मातृभाषाओं को संरक्षण और संवद्र्धन की आवश्यकता, मातृभाषा दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम आयोजित

Organizing a program in IGNTU on Mother Language Day, the need for con

भारतीय मातृभाषाओं को संरक्षण और संवद्र्धन की आवश्यकता, मातृभाषा दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम आयोजित

300 ऐसी भाषाएं हैं जो विलुप्त होने के कगार पर
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में गुरुवार को मातृभाषा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने भारतीय भाषाओं को संस्कृति का वाहक बताया। उन्होंने कहा कि भारत की मातृभाषाएं सामाजिककरण का महत्वपूर्ण भाग हैं अत: इन्हें संरक्षण और संवद्र्धन की आवश्यकता है। जनजातीय अध्ययन संकाय के निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विलुप्त प्राय: जनजातीय भाषा अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. दिलीप सिंह ने कहा कि भारतीय मातृभाषाएं छोटी भाषाएं हैं और इनके बोलने वालों की संख्या भी कम हो रही है मगर सामाजिक विकास में इनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ये सभी भाषाएं सांस्कृतिक चेतना की वाहक हैं और साहित्यिक रूप से भी काफी प्रभावशाली हैं। उन्होंने कहा कि प्रारंभ से ही मातृभाषाएं आसपास के परिवेश को समझने में प्रभावशाली माध्यम रही हैं। यह सामाजिककरण का महत्वपूर्ण आधार हैं। उन्होंने आजादी के बाद भारत के प्रशासनिक साम्राज्य को प्राप्त करने के बाद भी मातृभाषा साम्राज्य को प्राप्त न कर पाने की चुनौती की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अब आवश्यकता मातृभाषा के नियोजन और उनके विकास की है। कुलपति प्रो. टीवी कटटीमनी ने कहा कि मातृभाषा के समान अभिव्यक्ति किसी और भाषा में नहीं हो सकती। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में विभिन्न भाषाओं के छात्रों की उपस्थिति से विभिन्न रंगों का सुंदर समायोजन दिखाई देता है इसे निरंतर प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए संकायाध्यक्ष प्रो. पीके सामल ने बताया कि दुनियाभर में सात हजार से अधिक मातृ भाषाएं हैं जिनमें से भारत में ही तीन हजार से अधिक मातृ भाषाएं हैं। इनमें से 300 ऐसी भाषाएं हैं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। इनके विशेष संरक्षण और प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रांतों के छात्रों ने अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। प्रो. कटटीमनी व अन्य अतिथियों ने मातृभाषा दिवस पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया।

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