दायर हुई याचिका
सपेन्द्र जायसवाल एवं लालबहादुर जायसवाल द्वारा कालरी की जमीन खसरा नम्बर 638 के जुजभाग लगभग एक एकड में वर्षों से कब्जा कर बाउन्ड्री एंव मकान का निर्माण कराया गया था। जिसमे जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई के बाद निर्माण को तोडे जाने नवम्बर 2014 मे आदेश दिया गया था। लेकिन पुन: न्यायालय मे अपील की गई थी मामला लंबित था। न्यायालय मे सुनवाई एंव सभी अपीले खारिज होने के बाद अखिरकार अवैध कब्जा को ढहाते हुए उक्त जमीन को कालरी ने अपने कब्जे मे ले लिया। इस दौरान भारी तादाद में स्थानीय लोग मौजूद रहे।
जारी हुआ था नोटिस
एसईसीएल के सम्पदा अधिकारी ने सूचना के माध्यम से सपेन्द्र जायसवाल पिता स्व. त्रिवेणी जायसवाल एवं लाल बहादुर जायसवाल पिता सपेन्द्र जायसवाल को सूचित किया था कि वे उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश पर खसरा नं 638 के भाग में किए गए सम्पूर्ण अवैध निर्माण को हटा ले। यदि ऐसा नहीं किया गया तो 16 जुलाई को प्रात: 11 बजे उक्त अवैध निर्माण को बल पूर्वक हटवा दिया जाएगा। उक्त कार्य में व्यय होने वाली राशि की वसूली सपेन्द्र पिता स्व. त्रिवेणी जायसवाल एवं लाल बहादुर जायसवाल पिता सपेन्द्र जायसवाल की चल एवं अचल सम्पत्ति से की जाएगी।
कब्जा हटाने चार टीमें गठित
अतिक्रमण हटाने को लेकर कालरी प्रबंधन द्वारा चार टीमे गठित कर मंगलवार की सुबह स्थल पर पहुंची। जिसमे पानी सप्लाई अवरुद्ध, बिजली, समान खाली कराने एंव निर्माण को ध्वस्त करने को लेकर कुल 50 सदस्यीय टीम का गठन कर सुबह 10 बजे से कार्यवाही प्रारंभ की गई जो कि 4 बजे तक चली। जिसमें बाउन्ड्री वाल व मकान को पूरी तरह से ढ़हा दिया गया। इस दौरान कुछ महिलाओ द्वारा विरोध किया गया लेकिन न्यायालीन आदेश के आगे उनकी एक ना चली। उक्त बहुचर्चित अतिक्रमण को हटाने के बाद कालरी क्षेत्र मे सैकडो लोगो के द्वारा किए गए अवैध कब्जा एंव निर्माण कर उसका उपयोग करने वालो मे खलबली मच गई है। इस संबंध में प्रभारी एरिया पर्सनल मैनेजर मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि कालरी की जमीन पर कब्जा था। जिसे न्यायालय के आदेशानुसार हटाया गया है। अन्य अतिक्रमणो पर भी कालरी प्रबंधन समय-समय पर कार्यवाही करती रहती है। एसडीओपी कोतमा एसएन प्रसाद ने कहा कि सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन तैनात रहा। कालरी प्रबंधन द्वारा अपनी टीम के साथ नियमानुसार कार्यवाही की गई। इस दौरान कोई विवादास्पद स्थिति निर्मित नहीं हुई।