जन एजेंडा; वक्ताओं ने क्षेत्र में राजनीतिक शून्यता पर जताई चिंता, विकास का भरोसा
देकर वोटरों को नेताओं ने छला
अनूपपुरPublished: Sep 18, 2018 08:32:30 pm
जन एजेंडा; वक्ताओं ने क्षेत्र में राजनीतिक शून्यता पर जताई चिंता, विकास का भरोसा देकर वोटरों को नेताओं ने छला
जन एजेंडा; वक्ताओं ने क्षेत्र में राजनीतिक शून्यता पर जताई चिंता, विकास का भरोसा देकर वोटरों को नेताओं ने छला
एजेंडा के आधार पर हो प्रत्याशियों का चयन, मौखिक आश्वासनों पर नहीं होगा विकास
अनूपपुर। पत्रिका का जन एजेंडा कार्यक्रम के तहत सोमवार को विधानसभा क्षेत्र के वेंकटनगर गांव के रानीताल तालाब के पास बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में बड़ी संख्या में चेंजमेकर वॉलिंटेयर्स, एनजीओ मेम्बर्स, अधिवक्ता, समाजसेवी, किसान व व्यवसायी वर्ग के प्रबुद्ध जन शामिल हुए, जिसमें प्रबुद्ध जनों ने अपनी अपनी राय रखकर विधानसभा के विकास के संदर्भ में जन एजेंडा तैयार किया। बैठक में राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं विधानसभा स्तरीय कई मुद्दों पर विचार मंथन किया गया। जिसमें अधिकांश वक्ताओं ने नेताओं की योग्यता व राजनीतिक शून्यता पर चिंता जाहिर की। बैठक में विधानसभा स्तरीय कई समस्याएं भी उभर कर सामने आए। जिसमें प्रमुख रूप से औद्यागिक विकास, इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज की स्थापना, वेंकटनगर कॉलेज सहित राजेन्द्रग्राम शासकीय कॉलेज में स्टाफ व संसाधनों को बढ़ाए जाने, क्षेत्र की जीवनदायिनी अलान और जोहिला नदी के संरक्षण, किसानों को मनरेगा के तहत मजदूर उपलब्ध कराने और क्षेत्र में कोयला व बॉक्ससाईड के अनुसार उद्योग धंधों के साथ ग्रामीण स्तर पर कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने जैसे विचार भी सामने आए। वक्ताओं का कहना था कि आज के आधुनिक रोजगार नीति में अधिक शिक्षित तथा कुशल युवक को रोजगार प्रदान किए जाते हैं, उसकी प्रकार से क्षेत्र की बागडोर भी ऐसे जनप्रतिनिधि को सौंपा जाए जो शिक्षित तथा राजनीतिक करने की काबलियतयुक्त हो। राजनीति में जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच पारदर्शिता होनी चाहिए और स्थायी विकास मुख्य एजेंडा हो। यह तभी सम्भव होगा जब पार्टीगत प्रत्याशी की जगह जनता की ओर से कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे। नेता वहीं कहलाएगा तो जनता को समझेगा और प्राकृतिक संसाधनों को सरंक्षित रखने आगे आएगा। यहीं कारण है कि अबतक बिना एजेंडा के मैदान में उतरे नेताओं के कारण जिले में पुष्पराजगढ़ विधानसभा पूरी तरह पिछड़ा साबित हुआ। ग्रामीणों ने राजनीति की भेड़-चाल में जातिगत वोट देकर विकास को पीछे छोड़ दिया। परिणाम आज पुष्पराजगढ़ का हरेक ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सडक़, रोजगार, सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। ग्रामीणों द्वारा अपने अधिकार के तहत मांगे जा रहे विकास के बावजूद नेताओं ने सिर्फ आश्वासनों का झुनझुना पहनाया है। यहां तक वेंकटनगर के डोकरी कछार, कदमसरा, खैरीटोला में विकास के नहीं होने पर ग्रामीणों ने मताधिकार का बहिष्कार भी कर दिया, लेकिन नेताओं की हठधर्मिता यह कि इसके बाद भी कभी गांवों का भ्रमण करने या लोगों की हाल-चाल जानने तक नहीं पहुंचे। वक्ताओं का कहना था कि पत्रिका के जन एजेंडा अभियान के तहत विधानसभा की १० प्राथमिकताओं के साथ एकमत्र में तैयार किए गए बिन्दूओं पर शासन -प्रशासन काम करेगी तो जिले का विकास अवश्य होगा, और लोगों को सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी। ग्रामीण व्यवसायी लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने जनप्रतिनिधियों की ओर इशारा करते हुए कहा, पिछले पांच सालों में ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए कोई भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं पहुंचा है। अब चुनाव आ रहे हैं वोट मांगने पहुंचेंगे, तब ग्रामीण उनसे वोट का एजेंडा पूछे, इससे राजनेताओं को समझ में आएगा कि अब भेड़ चाल पर चुनाव के राह आसान नहीं हैं। अधिवक्ता श्यामचरण पांडेय ने कहा विधानसभा क्षेत्र में मूलभूत रूप में स्वास्थ्य, और पानी की सबसे बड़ी समस्या है। स्वास्थ्य केन्द्र खुले हंै, डॉक्टर और संसाधन नहीं है। व्यापारी संतलाल गुप्ता ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को नजर लग गई है। सरकार विकास की घोषणाएं करती है लेकिन विकास कहां है दिखता नहीं है। किसान राज कुमार जायसवाल ने कहा योजनाओं को अधर में अटका शासन प्रशासन हर बार उन्हीं मुद्दों पर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास करती है, इसलिए जो योजनां घोषणा घोषित हो गई इसे तत्काल पूरा कराएं। समाजसेवी व किसान जोधन सिंह ने कहा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित जन प्रतिनिधि पढा लिखा और समझदार होना चाहिए। जन प्रतिनिधियों के असक्षता से विकास पर प्रभाव पड़ता है। भ्रष्टचार के कारण ग्रामीण क्षेत्र विकास से कट जाता है। किसान जीवनलाल प्रजापति ने कहा किसानों को अनुदान नहीं प्रोत्साहन राशि दी जाए क्योंकि जब किसान खुशहाल होगा तभी देश विकसित होगा। श्रमिक रमेशदास चौधरी ने कहा गरीबो को सस्ता अनाज देने की बजाय रोजगार की सम्भावनाएं तलाशे, सुविधाओं का विस्तार जरूरी है। एनजीओ सदस्य पानी की व्यवस्था पर यदि आज चिंतन नहीं किया गया तो आने वाली पीढियों को पानी के लिए जूझना होगा। किसान कमलेश प्रजापति ने कहा हमे जातिवाद व विकासवाद से हटकर राजनीति करना होगा।
विधानसभा की पूर्व १० प्राथमिकताएं:
१. जिला मुख्यालय से जोडऩे वाली सडक़ों का चौडीकरण किया जाए
२. जलसंकट की किल्लत दूर किया जाए
३. शासकीय सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध कराई जाए। निजी बस पर अंकुश रखा जाए ताकि सुविधाएं पूरी मिले।
४. क्षेत्र में तकनीकि शिक्षण संस्थान खोले जाए
५. खनिज आधारित उद्योग की स्थापना हो
६. समय पर कार्य पूरा नहीं करने वाले अधिकारी कर्मचारियों के लिए दंड का प्रावधान हो।
७.पहाड़ी इलाकों की सडक़ पर बे्रकर बनाए जाए
८. स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों के रिक्त पद भरे जाए
९. नगरपालिका क्षेत्र के बाजार तथा मंडी को विस्तारित किया जाए
१०. पुलिस व्यवस्था को अधिक मजदूर किया जाए।