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अनूपपुर

कैसे होगा नर्मदा जल से आचमन और पूजा: सफाई के अभाव में नर्मदा कुंड में भरा शैवाल, सरोवर का जल हुआ हरा

कैसे होगा नर्मदा जल से आचमन और पूजा: सफाई के अभाव में नर्मदा कुंड में भरा शैवाल, सरोवर का जल हुआ हरा

अनूपपुरFeb 21, 2019 / 08:52 pm

shivmangal singh

How will Narmada water be discharged and worshiped: In the absence of

कैसे होगा नर्मदा जल से आचमन और पूजा: सफाई के अभाव में नर्मदा कुंड में भरा शैवाल, सरोवर का जल हुआ हरा

आचमन से श्रद्धालु बना रहे दूरी, कुंड के प्रतिबंधित क्षेत्र में भी गंदगी की भरमार
अनूपपुर। प्रदेश की जीवनदायिनी के साथ साथ देश की जीवनदायिनी के रूप में प्रसिद्ध नर्मदा नदी अमरकंटक स्थित अपने उद्गम स्थल पर ही अब सफाई के अभाव में प्रदूषित हो रही है। हजारों की तादाद में नर्मदा उद्गम पहुंचने वाले श्रद्धालु उद्गम कुंड की गंदगी और काई युक्त पानी को देखकर आचमन और स्नान से दूरी बना रहे हंै। २२ फरवरी की सुबह मध्यप्रदेश की प्रथम महिला नागरिक व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल नर्मदा उद्गम स्थल पर माता नर्मदा का पूजा अर्चना करेगी। लेकिन नर्मदा दर्शन व पूजन पूर्व उन्हें नर्मदा कुंड की दूषित जल से ही आमचन करना होगा। हालांकि नर्मदा की उद्गम स्थल से प्रवाहित होने वाली जलधारा को अवरूद्ध होने से बचाने पूर्व में कुंड स्थली की जलधारा में चावल, फूूल, सहित अन्य पूजन सामग्रियों के चढोत्तरी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन हालात यह हैै कि जिला प्रशासन सहित नगरीय प्रशासन अमरकंटक, नर्मदा मंदिर उद्गम ट्रस्ट, प्रदूषण विभाग और एनजीटी संस्थाओं की निगरानी के बाद भी नर्मदा का जल काईयुक्त बना हुआ है। यहीं नहीं कुंड से प्रवाहित होकर पुष्कर डैम के रास्ते रामघाट तक पहुंची वाली जलधारा डैम के पास ही प्रदूषितावस्था में बह रही है। नदी के प्रारम्भिक स्वरूप में जंगली घास, शहर की गंदगी, पूजा की सामग्री का समिश्रण फैला हुआ है। जिसे देखने के बाद अन्याशा भक्तों के मुख से यही बात निकलती है कि क्या यही शिव की नर्मदा है?। नर्मदा दर्शन करने इससे पूर्व भी राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच चुके हैं। सबने दर्शन के बाद यही बात दुहराई, अब नर्मदा को प्रदूषित नहीं होने दिया जाएगा। इसकी रक्षा का संकल्प लिया। लेकिन उनके जाते ही नर्मदा के उद्गम सहित बहती जलधारा को प्रदूषण होने से बचाने कभी पहल नहीं की गई। वर्ष २०१५ में सफाई के अभाव में नर्मदा कुंड की जलधारा प्रभावित हुई थी। कुंड के अंदर से रिसकर उपर आने वाली जलधारा बंद हो गया था, जल रिसाव बंद होने कुंड का जलस्तर अत्यन्त कम हो गया था। जिसपर प्रशासन ने आनन फानन में जबलपुर की तकनीकि विभाग की सहायता लेते हुए कुंड की सफाई कराते हुए जलधारा को पुर्नजीवित किया था। लेकिन तीन सालों के बाद हालात फिर से जस की तस बन आया है। वर्तमान नर्मदा कुंड में हरे शैवाल के पनपने के कारण कुंड का पूरा पानी हरे रंग में रंग गया है। पुराना मृत शैवाल पौधा पानी के उपर तैरता हुआ श्रद्धालुओं के मनमस्तिष्क को भ्रमित कर रहा है। जबकि वर्तमान कुंड के स्वरूप को देखकर नर्मदा दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु भी बिना आचमन किए नर्मदा दर्शन व पूजन कर वापस लौट रहे हैं। जबकि आगामी मार्च के दौरान महाशिवरात्रि पर्व के दौरान लाखों की तादाद में श्रद्धालु नर्मदा दर्शन और पवित्र स्नान के लिए पधारेंगे। अगर नर्मदा की यही स्थिति रही तो पुन: तीन साल वाली समस्या नर्मदा के लिए उत्पन्न हो जाएगी।
बॉक्स: कहां है प्रदूषण विभाग और ट्रस्ट
नर्मदा मंदिर की देख-रेख की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के साथ साथ नगरपालिका अमरकंटक, नर्मदा मंदिर उद्गम ट्रस्ट अमरकंटक तथा प्रदूषण विभाग व एनजीटी संस्थाओं के कंघों पर है। जिसमें साफ-सफाई और देख-रेख के साथ समय समय पर नर्मदा कुंड का निरीक्षण और जल मानकों की मुआयना करना भी सौंपा गया है। लेकिन हर बार प्रदूषण विभाग द्वारा बिना जांच पड़ताल किए पानी की शुद्धता की प्रमाण शासन को भेज देती है। जबकि वास्तवितका अमरकंटक में इसके विपरीत दिख रही है।
बॉक्स: नगर की गंदगी में रंगी वैतरणी
अमरकंटक बस स्टैंड के पास वैतरणी के रूप में प्रवाहित होने वाली सहायक नदी नगर की प्रदूषित पानी में अब अपना अस्तित्व खो चुकी है। यह नदी नगर के कचरा और दूषित जल के संग्रहण में काम लाई जा रही है। हालंाकि इस नदी के जलधारा को नर्मदा से मिलने पुलिया बनाकर रोका गया है, लेकिन बारिश के दौरान इस नदी का पानी भी उफान मारते हुए कचरे के साथ नर्मदा में जा मिलती है।
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