रावण दहन देखते लोगों को ट्रेन द्वारा कुचल देने के इस हादसे में 61 लोग मारे गए और 72 अन्य घायल हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को अमृतसर पहुंचकर घायल की हालत देखी और मृतकों के परिजनो को सांत्वना दी। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के गृह सचिव को निर्देश दिए कि ऐसे हादसे को फिर होने से रोकने के लिए मानक तय किए जाएं जिनके तहत ही धार्मिक और सामाजिक आयोजनों की मंजूरी दी जाए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जोडा फाटक रेल लाईन से करीब 50 मीटर के फासले पर रावण दहन पिछले बीस साल से किया जा रहा है। इस समारोह में आसपास के गांवों के लोग जुटते रहे है। लेकिन किसी तरह का हादसा कभी नहीं हुआ। अधिकारियों के अनुसार रेल हादसे में मरने वालों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के कामगार है। ये नजदीक के औद्योगिक क्षेत्र में काम करते थे और करीब ही रहते थे। जिला प्रशासन मृतकों के शव उनके गृह स्थल ले जाने के लिए हरसंभव मदद कर रहा है। लोगों में अभी भी रेलवे के खिलाफ रोष है। उनका कहना है कि दशहरा आयोजन के लिए सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए।