मान ने कहा कि इस पवित्र भूमि पर माता गुजरी जी के साथ-साथ साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत ने युगों-युगों तक पंजाबियों को अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे साहिबजादों ने सरहिंद के पूर्व मुगल गवर्नर की ताकत के खिलाफ खड़े होने के लिए अनुकरणीय साहस और निडरता का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि साहिबजादों को वीरता और निस्वार्थ सेवा के गुण दशमेश पिता से विरासत में मिले थे, जिन्होंने मानवता के लिए अथक संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इस सर्वोच्च बलिदान के बारे में जागरूक करने की जरूरत है ताकि उन्हें देशहित में निस्वार्थ बलिदान देने के लिए प्रेरित किया जा सके।
मान ने कहा कि आज दुनिया भर से श्रद्धालु छोटे साहिबजादों को विश्व के इतिहास में उनके अद्वितीय बलिदान के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। मान ने कहा कि इतनी कम उम्र में छोटे साहिबजादों की ओर से दिए गए सर्वोच्च बलिदान की विश्व इतिहास में शायद ही कोई तुलना हो। उन्होंने कहा कि इस अनोखे और अद्वितीय बलिदान पर पूरी दुनिया को गर्व है जो न केवल पंजाबियों के लिए बड़े सम्मान की बात है।