‘पीओके’ पर क्यों चुप है चीन?

50 अरब डॉलर की चीनी परियोजना चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) गिलगिट और बाल्टिस्तान से होकर गुजरती है।

<p>गिलगिट-बाल्टिस्तान इस वक्त पाकिस्तान के नियंत्रण में हैं।</p>
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद तीखी प्रतिक्रिया के विपरीत पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगिट और बाल्टिस्तान के मुद्दे पर चीन विशेष प्रतिक्रिया देने से बच रहा है। पिछले दिनों चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि अगस्त 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद चीन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये एक तरफा बदलाव अमान्य और अवैध है। पीओके में ये दोनों क्षेत्र इस वक्त पाकिस्तान के नियंत्रण में हैं। रणनीतिक रूप से चीन और अफगानिस्तान के साथ इसकी सीमाएं लगती हैं। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि गिलगिट-बाल्टिस्तान के पाकिस्तान में विलय का विचार पाकिस्तान ने चीन के इशारे पर किया है।
20 लाख की आबादी
पाकिस्तान गिलगिट और बाल्टिस्तान को अपना प्रांत बनाना चाहता है। 2009 में पाकिस्तान ने यहां के उत्तरी क्षेत्र विधान परिषद को विधानसभा में बदल दिया था, जहां आगामी 15 नवंबर को चुनाव होने हैं। पाक सुप्रीम कोर्ट ने भी यहां चुनाव करवाने की सहमति दे दी है। करीब 20 लाख की आबादी वाले गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोगों के पास सीमित शक्तियां हैं। भारत यह कहकर विरोध कर रहा है कि ये क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है, जिस पर 1947 में पाक ने कब्जा कर लिया था।
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