मनोबल मेरा मीत

मनोबल मेरा मीत

जब बांधी जाए बेडिय़ां पैरों में,
जब नजर आए समाज की शाखों से
टपकता हुआ मानवता का लहू

तब एक लंबी गहरी सांस ले,
अपने मनोबल का हाथ थामें
बहते लहू से तर रास्तों में
आत्मविश्वास को हमसफर बनाऊंगी
हर कष्ट को छुपा लूंगी आंचल में,
साहस व हिम्मत को सारथी बना
कूद पडूंगी मैं दहकते संग्राम में
मानवता की अस्मित बचाने।

कर्तव्य के मार्ग पर निसंक डट जाऊंगी
ताण्डव करते निराशा के बादलों को
दृढ़ मनोबल से चीर कर खुशी की धूप ले आऊंगी
रे जगत जननी हौसला बुलंद कर
जिंदगी की यह जंग जीतने से न डर
विषमता में भी दृढ़ मनोबल
तिमिर चीर प्रकाश फैलाएगा

ये धरा भी मुस्कारएगी,
अम्बर भी गाएगा,
मन सबल हो तो अबला फिर
भय-विस्मय से मुक्त हो जाएगी।
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