गजल

गजल

गजल
यूसुफ रईस
इश्तहारों से कुछ नहीं होगा
खाली नारों से कुछ नहीं होगा।

कोई सूरज नया उगाओ तुम
चांद-तारों से कुछ नहीं होगा।

घर की तालीम भी जरूरी है
बस इदारों से कुछ नहीं होगा।

खुल के इजहार इश्क का कर दो
इन इशारों से कुछ नहीं होगा।
कोई मुश्किल अगर जो आई तो
मेरे यारों से कुछ नहीं होगा।

इश्क ख़ुशबू है फैल जाएगा
राजदारों से कुछ नहीं होगा।

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