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Stone of Destiny In Ireland: बड़ा आश्चर्यजनक है, आयरलैंड के इस शिवलिंग से जुड़ा रहस्य

Stone of Destiny In Ireland: आखिर क्या है, आयरलैंड की तारा हिल में स्थित इस लंबे अंडाकार पत्थर की कहानी, जहां कुछ लोग करते हैं तांत्रिक क्रियाएं?

नई दिल्लीOct 05, 2021 / 01:08 pm

Tanya Paliwal

नई दिल्ली। Stone of Destiny In Ireland: इस धरती पर शिव पूजा का प्रचलन सदियों से चलता आ रहा है। और इस बात के सबूत के रूप में दुनिया भर में भगवान शिव के ढेरों पूजनीय मंदिर है। इसके साथ ही इस दुनिया में बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिनके रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। उन्हीं में से एक है, आयरलैंड में स्थित शिवलिंग। जो कि वहां के एक पहाड़ी इलाके में गोल घेरे के बीचों-बीच स्थित है। इसके अलावा भाग्य का पत्थर कहे जाने वाला शिवलिंग पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसकी स्थापना का समय स्पष्ट तो नहीं है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग को आयरलैंड में सैकड़ों वर्ष पूर्व विशेष जादुई शक्ति रखने वाले लोगों ने वहां स्थापित किया था। कई लोगों ने इसे क्षतिग्रस्त करने की कोशिश भी की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। तो आइए जानते हैं इस रहस्यमई शिवलिंग से जुड़ी कुछ और बातों के बारे में…

आपको बता दें कि, आयरलैंड की काउंटी मीथ में एक तारा हिल नामक स्थान पर ईंटों का गोल घेरा बनाकर इस शिवलिंग को स्थापित किया गया था। स्थानीय लोग शिवलिंग की तरह प्रतीत होने वाले इस पाषाण को रहस्यमई पत्थर के रूप में जानते हैं। और इसे लिआ फेइल (भाग्य का पत्थर) कहकर इसकी पूजा करते हैं।

 

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अगर इतिहास से जुड़े तथ्यों की बात करें तो, फ्रांसीसी भिक्षुओं के एक पुराने दस्तावेज, ‘द माइनर्स ऑफ द फोर मास्टर्स के अनुसार’, कुछ विशेष जादुई शक्तियां रखने वाले एक समूह के सरदार ‘तुथा डि देनन’ ने इसकी स्थापना की थी। ये दस्तावेज 1632-1636 ईसवीं के मध्य में लिखा गया था। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि, कांस्य निर्माण आयरलैंड में इसी समूह के लोगों ने किया था।

इस पत्थर का महत्व:
उसे समूह के सरदार ‘तुथा डि देनन’ के नाम का अर्थ होता है, देवी दानू के बच्चे। जिन्होंने आयरलैंड पर 1897 बीसी से 1700 बीसी तक शासन किया था। उन ईसाई भिक्षुओं ने इस पाषाण को प्रजनन क्षमता की प्रतीक मूर्ति के रूप में माना। वहां के लोगों के लिए यह पत्थर इतना महत्वपूर्ण पत्थर था कि इसका उपयोग 500 ईस्वी तक सभी आयरिश राजाओं के राज्यभिषेक के अवसर पर किया जाता था।

 

चलिए अब जानते हैं कि, देवी दानू कौन थीं और इस कहानी से उनका क्या ताल्लुक है…

यूरोपीय परंपरा में देवी दानू एक नदी देवी थीं। जिनसे कुछ नदियां जैसे देन्यूब, दोन, डनीपर और डिनिएस्टर भी जुड़ी हैं। कुछ आयरिश ग्रंथों के अनुसार दानू देवी के पिता को दागदा (सबसे अच्छा भगवान) माना जाता है। वैदिक परंपरा में भी दानू देवी का जिक्र मिलता है, जो दक्ष की बेटी और कश्यप मुनि की पत्नी होने के साथ वही नदियों की देवी थीं। संस्कृत भाषा में दानू शब्द का अर्थ है ‘बहने वाला पानी’ होता है। वैदिक परंपरा के अनुसार इससे जुड़ी कहानी की बात करें तो, राजा दक्ष की दो पुत्रियों में से एक बेटी सती का विवाह भगवान भोलेनाथ से हुआ था। इस प्रकार जो लोग वैदिक परंपरा को मानते हैं, उनके लिए ‘लिआ फैल’ नाम शिवलिंग से बहुत मेल खाता है।

कहते हैं कि, यह शिवलिंग रूपी पत्थर इतना मजबूत है कि आज तक इसे कोई क्षति नहीं पहुंचा पाया। हाल के वर्षों में आयरलैंड के शिवलिंग को कई बार हानि पहुंचाने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार एक व्यक्ति ने इस पत्थर पर साल 2012 के जून में 11 बार आक्रमण किया, परंतु कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद साल 2014 के मई में किसी व्यक्ति ने शिवलिंग की सतह पर लाल, हरा रंग डालकर इसे खराब करने की कोशिश की। आपको जानकर हैरानी होगी कि, यहां बहुत से लोग काला जादू और तांत्रिक क्रियाएं करने आते रहते हैं।

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