हिमाचल की इस झील में छिपा है अरबों का खजाना, फिर भी कोई नहीं करता निकालने की कोशिश

हिमचाल प्रदेश में मंडी से 60 किमी दूर स्थिति कमरुनाग झील में छिपा है अरबों-खरबों का खजाना, जानिए जून का महीना यहां के लिए क्यों है खास

<p>Unkonwn treasure is stored Kamrunag lake in himachal Pradesh know important facts </p>
नई दिल्ली। भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) अपने पौराणिक महत्त्व के साथ-साथ रहस्यों का गढ़ भी माना जाता है। बर्फ की चादर ओढ़े यहां कई ऐसी जगहें मौजूद हैं, जिनका प्रचीन इतिहास अपने अंदर कई गहरे राज्य समेटे हुए है।
यही नहीं यहां के कुछ स्थलों की पहचान तो महाभारत काल से की गई है, वहीं कुछ स्थल अब भी रहस्यमयी बने हुए हैं। इन रहस्यों में छिपे अरबों-खरबों के खजाने के राज। हिमाचल प्रदेश में ऐसी एक झील (Lake) है, जिसमें अरबों-खरबों का खजाना छिपा हुआ है। हालांकि, अब तक किसी ने इस झील से खजाना निकालने की कोशिश नहीं की है।
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हम किसी भूखंड की नहीं, बल्कि हिमाचल में मौजूद एक ऐसी झील की बात करेंगे, जहां अरबों-खरबों का खजाना गढ़े होने की बात कही जाती है।
कमरुनाग झील हिमाचल की प्रमुख झीलों में से एक है। यह मंडी घाटी की तीसरी प्रमुख झील है। इस झील का नाम घाटी के देवता कमरुनाग के नाम पर पड़ा है।

जहां जून माह में विशेष मेले का आयोजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रतिवर्ष 14-15 जून को बाबा कमरुनाग पूरी दुनिया में दर्शन देते हैं।
यूं तो दुनियाभर से लोग हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों को देखने के लिए आते हैं। यहां ऐसे कई खूबसूरत नजारें मौजूद है, जिन्हें देखने के बाद विदेशी क्या देसी लोग भी दीवाने हो जाते हैं।
लेकिन इस खूबसूरत प्रदेश में एक ऐसी झील (Lake) है, जिसमें अरबों-खरबों का खजाना छिपा हुआ है। हालांकि, अब तक किसी ने झील से खजाना निकालने का प्रयास नहीं किया है।

मण्डी से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर रोहांडा के घने जंगलों में स्थित कमरुनाग झील में अरबों का खजाना छुपा है। हालांकि झील के गर्भ से अब तक किसी ने इस खजाने को निकालने की हिम्मत नहीं की।
इसका कारण बेहद ही चौंकाने वाला है। दरअसल, यहां एक बहुत ही मशहूर मंदिर है और इसी मंदिर के पास कमरुनाग झील है।

जून माह में विशेष महत्व
इस स्थल का जून माह में विशेष महत्व है। दरअसल जून के महीने में यहां एक विशेष मेले का आयोजन होता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रतिवर्ष 14-15 जून को बाबा कमरुनाग पूरी दुनिया में दर्शन देते हैं। इस खास मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं, हालांकि कोरोना काल के चलते फिलहार मेले का आयोजन नहीं हो रहा है।
मनोकामना के लिए चढ़ाए जाते हैं हीरे-जवाहरात
कहा जाता है कि जो भी भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं, वो इस झील में सोने-चांदी के गहने और रुपये-पैसे डालते हैं। दूर-दूर से आए लोग मनोकामना पूरी होने पर झील में करंसी, नोट, हीरे-जवाहरात चढ़ाते हैं। महिलाएं सोने चांदी के जेवर इस झील को अर्पित कर देती हैं। यह झील आभूषणों से भरी है।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसी परंपरा के आधार पर यह माना जाता है कि इस झील में अरबों का खजाना है।

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भेंट चढ़ाने का भी निश्चित समय
झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है। जब देवता को कलेबा लगेगा अर्थात भोग लगेगा, तब ही झील में भेंट डाली जाती है।
अरबों का खजाना, फिर भी नहीं सुरक्षा का प्रबंध
झील में अरबों की दौलत होने के बावजूद सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं है। लोगों की आस्था है कि कमरुनाग इस खजाने की रक्षा करते हैं। देव कमरुनाग मंडी जिला के सबसे बड़े देव हैं।
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