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तुर्की भाषा:
हिज़यानिइस ने जब अपने माता-पिता से तुर्की भाषा सीखने की इच्छा जाहिर की तो वे काफी नाराज हुए। क्योंकि उस वक्त तुर्की लोगों को दुश्मन माना जाता था। इसके अलावा इकोनोमुस के परिवारीजन मात्र ग्रीक्लिश लैंग्वेज बोलते थे। जिसमें अंग्रेज़ी भाषा ग्रीक लहजे में बोली जाती थी। और इसी के कारण हिज़यानिइस इकोनोमुस को एक अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए निजी विद्यालय में भेजा जाता था।
परंतु इकोनोमुस का मानना था कि, सभी हमारे मित्र होते हैं, कोई हमारा शत्रु नहीं है। और तुर्की लोग भी तो हमारी तरह इंसान ही हैं। उनके माता-पिता प्रतिवर्ष होने वाले उन विरोध प्रदर्शनों में जाते थे जिसमें तुर्की शरणार्थी और नेता हिस्सा लिया करते थे। तो जब हिज़यानिइस इकोनोमुस के माता-पिता ने एक प्रदर्शन में जाकर पूछा कि, हमारा बेटा तुर्की सीखना चाहता है, तो उनके आयशे नामक एक अध्यापक ने ग्रीक होने के कारण असहमति जताई।
मैंडरिन भाषा:
इकोनोमुस को सबसे ज्यादा मुश्किल मैंडरिन भाषा सीखना लगा, जो कि आज भी उनके लिए एक चुनौती बनी हुई है। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय से क्लासिकल भाषाओं में स्नातक करने के बाद इकोनोमुस को आगे की शिक्षा के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय जाना था, परंतु इस बीच उनके पास 1 वर्ष का समय था। तब उन्हें मैंडरिन भाषा सीखने का विचार आया। इसलिए उन्होंने बीजिंग लैंग्वेज इंस्टीट्यूट में दाख़िला ले लिया। हालांकि मैंडरिन भाषा का यूरोपीय भाषा से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। परंतु इस भाषा का ज्ञान प्राप्त करना उनके लिए बड़ी चुनौती था। हालांकि धीरे-धीरे उन्हें मैंडरिन भाषा से लगाव हो गया। और जब उनके सहयोगी मैंडरिन भाषा को नहीं पढ़ पाते हैं तो इकोनोमुस को यह मजेदार लगता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने ब्राजील में पुर्तगाली भाषा भी सीखी।
इकोनोमुस का कहना है कि, भाषाएं सीखने के बाद उन्हें कई देशों के लोगों, परंपराओं, रहन-सहन, भोजन आदि के बारे में जानने को मिला। उनके समय में ना तो सेटेलाइट था और ना ही इंटरनेट। जिससे भाषा सीखना उस समय थोड़ा कठिन था जो कि अब काफी आसान है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, फिलहाल वह यूरोपीय कमीशन में काम करते हैं, जहां उन्हें वर्ष में दो बार चीन भी भेजा जाता है। हिज़यानिइस इकोनोमुस का कहना है कि, काफी सारी भाषाओं का ज्ञान होने के कारण और एक ही शब्द के अलग-अलग मतलब होने के कारण कई बार वह असमंजस की स्थिति में भी पड़ जाते हैं।