दिलचस्प थ्योरी : इसलिए कोरोना के प्रकोप से बचे रहे दुनिया के पर्वतीय शहर

-एंडीज से तिब्बत तक तीन हजार मीटर तक की ऊंचाई वाले देशों में नहीं फैला कोविड-19 (Kovid did not spread in countries with height up to three thousand meters from the Andes to Tibet-19)

<p>एंडीज पर्वतमालाओं के आंचल में माचू पिच्चू जैसे अजूबों वाला कस्को</p>
जब पहली बार पेरू के कस्को में मेक्सिको, चीन और ब्रिटेन से गए पर्यटकों की कोरोना से मौत हुई थी, तो लग रहा था ये शहर कोविड-19 के प्रकोप का केंद्र रहने वाला है। लेकिन इन तीन सैलानियों की मौत के अलावा कस्को में किसी की जान नहीं गई, जबकि पेरू में कोरोना से 5 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। एंडीज पर्वतमालाओं के आंचल में माचू पिच्चू जैसे अजूबों वाला कस्को समुद्रतल से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर बसा है। सवा चार लाख आबादी वाले इस शहर में हर वर्ष तीस लाख से अधिक सैलानी आते हैं, जिनमें सर्वाधिक अमरीका, इटली और स्पेन जैसे देशों से आते हैं, जो इस वक्त कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित हैं। पेरू में एक लाख 87 हजार से अधिक मामलों के बावजूद कस्को क्षेत्र में अब तक 1100 केस सामने आए। यानी यहां रोग संचरण की दर राष्ट्रीय स्तर से 80 फीसदी कम है। इसी तरह के परिणाम तिब्बत और एंडीज क्षेत्र में देखे गए। ऐसा क्यों हुआ? इसके पीछे ऊंचाई की थ्योरी सामने आती है।
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हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊंचाई का पैटर्न स्पष्ट नहीं है, लेकिन शोधकर्ता कोरोनावायरस और ऊंचाई के बीच संभावित संबंधों का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही रेस्पीरेटरी फिजियोलॉजी एंड न्यूरोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शोध प्रकाशित हुआ है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, बोलीविया, कनाडा और स्विटजरलैंड के शोधकर्ता बोलीविया, इक्वाडोर और तिब्बत में महामारी के आंकड़ों को देखने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि तीन हजार मीटर की ऊंचाई से ऊपर आबादी तराई की तुलना में कम संक्रमित हुई है। तराई वाले चीन की तुलना में तिब्बत में यह काफी कम है। जबकि बोलीवियाई एंडीज में देश के बाकी हिस्सों से तीन गुना और इक्वाडोरियन एंडीज से चार गुना कम संक्रमण फैला।
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इसलिए ऊंचाई पर कम रहा संक्रमण
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि ऊंचाई पर रहने वाली आबादी को हाइपोक्सिया (रक्त में ऑक्सीजन की कमी) की क्षमता का लाभ मिला होगा। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र के कारण शुष्क हवा, मैदानी इलाकों से अधिक अल्ट्रावायलेट विकिरण और कम वायुदाब जैसी परिस्थितियां कोरोना वायरस के सर्वथा प्रतिकूल हैं। वायुदाब की कमी में वायरस की क्षमता को कमजोर करता है।
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ये नहीं मानते ऊंचाई और विकिरण की थ्योरी
सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों का अध्ययन कर रहे पीटर चिन हांग का कहना है कि वायरस का कैरियर इंसान ही है, ऊंचाई से कोई लेना-देना नहीं है। कुछ विशेषज्ञ पर्यावरणीय कारकों की भूमिका को खारिज करते हैं। वे ऊंचाई के कारण अल्ट्रावायलेट विकिरण के स्तर जैसी बातों को अप्रासंगिक मानते हैं। इनका मत है कि अधिक ऊंचाई वाले स्थानों के लिए दूसरी जगह कम जाते हैं, जिसस वायरस का संचरण ज्यादा नहीं हो सका।
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