SUBMARINE CABELS :जानिए, समुद्री केबल की दिलचस्प कहानी

-हाल ही भारत सरकार ने संचार के लिए चेन्नई से अंडमान निकोबार तक समुद्र में 2312 किमी लंबी ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाई है

<p>जानिए समुद्र में बिछाई जाने वाली ऑप्टीकल फाइबर केबल के बारे में</p>
जयपुर. हाल ही भारत सरकार ने संचार के लिए चेन्नई से अंडमान निकोबार तक समुद्र में 2312 किमी लंबी ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाई है। एक सामान्य उत्सुकता पैदा होती है, आखिर क्यों लाखों किमी लंबी केबल डाली जाती है। पनडुब्बी केबल से दूरसंचार कंपनियां, मोबाइल ऑपरेटर, बहुराष्ट्रीय निगम, सरकारें, कंटेंट प्रोवाइडर दुनियाभर में डेटा का आदान-प्रदान करते हैं। उपग्रह से भी डेटा लिया जाता है, लेकिन ऑप्टिकल फाइबर या पनडुब्बी केबल अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती है। ये काफी मजबूत होती है।
पनडुब्बी के केबल के बारे में दिलचस्प जानकारी
406 सबमरीन केबल सेवा में हैं इस वक्त दुनिया में
12 लाख किलोमीटर लंबाई के केबल सक्रिय हैं अभी
131 किलोमीटर लंबा फाइबर केबल सबसे छोटा है, जो आयरलैंड और इंग्लैंड के बीच बिछा है।
20 हजार किलोमीटर केबल अमरीका और एशिया के बीच है
99 फीसदी अंतरराष्ट्रीय डेटा केबल के माध्यम से ही भेजे जाते हैं
15 वर्ष पुरानी केबल की बजाय नई केबल अधिक डेटा ले जाने में सक्षम है। नई ‘मारिया’ केबल 208 टेराबाइट प्रति सेकंड ले जा सकती है।
कौन करता है निवेश
आमतौर पर दूर संचार कंपनियां इसमें निवेश करती हैं। वर्तमान में गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसे कंटेंट प्रोवाइडर नए केबल्स के मुख्य निवेशक हैं। हालांकि सरकारें भी इसमें निवेश करती हैं।
कितना उपयोगी
पनडुब्बी केबल से दूरसंचार कंपनियां, मोबाइल ऑपरेटर, बहुराष्ट्रीय निगम, सरकारें, कंटेंट प्रोवाइडर और अनुसंधान संस्थाएं दुनियाभर में डेटा का आदान-प्रदान करने के लिए पनडुब्बी केबल्स का प्रयोग करती हैं।

उपग्रह से कम लागत
दुनिया में संचार के लिए कई सैटेलाइट्स मौजूद हैं, लेकिन सबमरीन केबल उपग्रह से कहीं अधिक सस्ता विकल्प है।
भूकंप से नुकसान
कई बार मछली पकडऩे वाले जहाजों और भूकंप आदि से ऑप्टिक फाइबर केबल को नुकसान पहुंचता है। जानबूझकर तोडऩे या शार्क के काटने जैसी घटनाएं कम होती हैं। केबल को समुद्र तल में कुछ नीचे डाला जाता है।
केबल की उम्र क्या है
सबमरीन केबल की उम्र औसतन 25 वर्ष होती है। लेकिन इसके बाद भी इन्हें काम लिया जा सकता है। पुराने केबल उनुपयोगी होने के बाद कुछ कंपनियां इन्हें समुद्र से खींचकर निकालने का काम भी करती हैं।
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