भस्त्रिका आसन
वजन कम करने के लिए भस्त्रिका और कलापभाति प्राणायाम कर सकते हैं। इससे वजन कम होता है। कुंज क्रिया (पानी पीकर वमन यानी इसे बाहर निकालने) से भी पेट की चर्बी कम होती है। साथ ही सूर्यनमस्कार, पश्चिमोतापादासन, त्रिकोणासन, उदारकर्षासान, अर्ध हलासन, नौकासन और एक पादचक्रीय आसन करें। इन्हें योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।
वजन कम करने के लिए भस्त्रिका और कलापभाति प्राणायाम कर सकते हैं। इससे वजन कम होता है। कुंज क्रिया (पानी पीकर वमन यानी इसे बाहर निकालने) से भी पेट की चर्बी कम होती है। साथ ही सूर्यनमस्कार, पश्चिमोतापादासन, त्रिकोणासन, उदारकर्षासान, अर्ध हलासन, नौकासन और एक पादचक्रीय आसन करें। इन्हें योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।
अर्ध हलासन : इसमें सीधे लेटने के बाद दोनों पैरों को सांस भरते हुए धीरे-धीरे घुटने से मोड़ते हुए 90 डिग्री पर लाएं। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए 30 डिग्री पर लेकर आएं। इसी क्रम को 15 से 20 बार दोहराना है।
नौकासन : पहले दंडासन की स्थिति में बैठें फिर दोनों पैरों को 45 डिग्री पर रोकें। दोनों हाथों को घुटने के पास सीधा रखें, सांस को बाहर छोड़कर रोकें। पूरे शरीर का भार कमर पर डालकर अधिक समय तक ऐसे ही रोकें। इसका अभ्यास 3-5 बार करें।
एकपाद चक्रीय आसन : एक पैर को सांस भरते हुए जितना हो सके उतना बड़ा शून्य बनाएं। इसको ५ बार सीधा और पांच बार उल्टा घुमाएं। इसमें पैर को गोल-गोल घुमाना है। इसे क्षमता के अनुसार रोजाना करें।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। ‘सूर्य नमस्कार’ स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है।
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। ‘सूर्य नमस्कार’ स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है।