यह रक्त और मूत्र दोनों में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है। इसलिए यह डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। एक तुरई में 95 प्रतिशत पानी और केवल 25 फीसदी कैलोरी होती है। जिससे वजन नहीं बढ़ता।
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इसमें संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल बहुत ही सीमित मात्रा में होता है जो वजन कम करने में सहायक है। इसका नियमित प्रयोग करने से कब्ज नहीं होता और पेट भी साफ रहता है। तुरई पित्त, सांस संबंधी रोगों, बुखार, खांसी और पेट के कीड़ों को दूर करने में लाभकारी है। तुरई में बीटा कैरोटीन पाया जाता है जो नेत्र दृष्टि बढ़ाने में मदद करता है। इसका रस पीलिया रोग के उपचार में भी फायदेमंद है। यह भी पढ़ें