घुटनों के दर्द में आती कमी
उल्टी दौड़ में घुटनों पर कम दबाव पड़ता है। ऐसे में जिन्हेें घुटने मोड़ने में तकलीफ हो वे भी ऐसी दौड़ से वर्कआउट कर सकते हैं। इससे शरीर के उन हिस्सों पर दबाव नहीं पड़ता जिनपर सीधा चलते या दौड़ते वक्त चोट लगी थी। अक्सर चोटिल खिलाड़ी इस दौड़ से स्टेमिना बढ़ाते हैं। उल्टा दौड़ने से कमर-गर्दन सीधी रहती है जिससे शरीर का पॉश्चर सही रहता है। पीछे की ओर भागने में ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है जिससे अधिक कैलोरी बर्न होती है।
उल्टी दौड़ में घुटनों पर कम दबाव पड़ता है। ऐसे में जिन्हेें घुटने मोड़ने में तकलीफ हो वे भी ऐसी दौड़ से वर्कआउट कर सकते हैं। इससे शरीर के उन हिस्सों पर दबाव नहीं पड़ता जिनपर सीधा चलते या दौड़ते वक्त चोट लगी थी। अक्सर चोटिल खिलाड़ी इस दौड़ से स्टेमिना बढ़ाते हैं। उल्टा दौड़ने से कमर-गर्दन सीधी रहती है जिससे शरीर का पॉश्चर सही रहता है। पीछे की ओर भागने में ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है जिससे अधिक कैलोरी बर्न होती है।
हृदय के लिए वर्कआउट का अच्छा विकल्प
सीधे दौड़ने की तुलना में उल्टी दौड़ से कार्डियोवेस्कुलर क्षमता और स्टेमिना दोनों में इजाफा होता है। पीछे की ओर दौड़ते समय एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल होता है जिसमें ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। हालांकि हृदय से जुड़ी परेशानियां होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही उल्टी दौड़ लगानी चाहिए।
सीधे दौड़ने की तुलना में उल्टी दौड़ से कार्डियोवेस्कुलर क्षमता और स्टेमिना दोनों में इजाफा होता है। पीछे की ओर दौड़ते समय एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल होता है जिसमें ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। हालांकि हृदय से जुड़ी परेशानियां होने पर डॉक्टर की सलाह पर ही उल्टी दौड़ लगानी चाहिए।