ये हैं लक्षण
आमतौर पर इस स्थिति में किसी भी महिला के लक्षण एक सामान्य गर्भवती महिला के समान ही होते हैं जैसे वजन बढऩा, चक्कर आना, सुबह उठने पर थकान लगना, जी घबराना या उल्टियां होना, माहवारी में अनियमितता या ब्रेस्ट के आकार में परिवर्तन होने पर महिला खुद को प्रेग्नेंट समझने लग जाती है।
कैसे पता चलता है
जब कोई महिला डॉक्टर के पास जाती है तो उसकी प्रेग्नेंसी जांच के लिए पेल्विस एग्जामिनेशन और अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड के दौरान जब कोई बच्चा दिखाई नहीं देता या कोई धडक़न सुनाई नहीं देती तो डॉक्टर इसे फैंटम प्रेग्नेंसी डिक्लेयर कर देते हैं। कई मामलों में गर्भवती न होने पर भी महिला के यूट्रस में फैलाव और गर्भाशय मुलायम हो जाता है।
हालांकि फैंटम प्रेग्नेंसी के मामले में यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट हमेशा नेगेटिव होता है, लेकिन महिला इसे मानने को तैयार नहीं होती।
आंकड़ों के अनुसार
रोजाना जन्म लेने वाले औसतन 22,000 बच्चों की तुलना में ऐसे मामले पांच से छह होते हैं। यह स्थिति किसी भी आयु वर्ग की महिला के साथ हो सकती है। ऐसा भी कहा जाता है कि 1531-1558 के दौरान इंग्लैंड की महारानी मैरी भी दो बार फैंटम प्रेग्नेंसी का शिकार हुईं जब उनके डॉक्टर ने यूट्रस के ट्यूमर को गर्भावस्था समझ लिया।
इन्हें है खतरा
ज्यादा शिकार 30 से 40 साल की महिलाएं होती हैं या जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के मामले में बेहद भावुक हों। जिन महिलाओं के बच्चे की हाल ही में मृत्यु हुई हो या उनका मिसकैरिज हुआ हो, उन्हें भी इसकी आशंका रहती है क्योंकि डॉक्टर इसके लिए शारीरिक और मानसिक दोनों कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। इन्हें मानसिक रूप से ज्यादा मजबूत होने की जरूरत होती है।
परिवार का सहारा
गर्भावस्था का समय महिला के लिए बेहद उत्साह से भरा होता है। ऐसे में जब उसे पता चलता है कि वह प्रेग्नेंट नहीं है तो उसे काफी हताशा होती है इसलिए डॉक्टर को जितना जल्द हो महिला और उसके परिवार को इस बारे में बता देना चाहिए और उसे मैंटली सपोर्ट करना चाहिए।