आप भी जान लें मोटापे से जुड़े भ्रम और सच्चाई के बारे में

आइये जानते हैं मोटापे से जुड़े कुछ भ्रम और सच्चाई के बारे में…

<p>Home remedies for obesity</p>

मोटापे को व्यक्ति की खानपान की गलत आदतों से जोड़कर देखा जाता है, जो सही नहीं है। खराब लाइफस्टाइल ने मोटापे को बीमारी की श्रेणी में ला दिया है। डाइट कंट्रोल व व्यायाम के बावजूद अगर वजन बढ़ता जाए तो सर्जरी जरूरी हो जाती है। आइये जानते हैं मोटापे से जुड़े कुछ भ्रम और सच्चाई के बारे में…

मिथक: बेरियाट्रिक सर्जरी हर मोटे आदमी के लिए होती है।
मोटापे की सर्जरी के लिए डॉक्टर ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (बीएमआई) करवाते हैं। अगर व्यक्तिका बीएमआई 32.5 है और मोटापे की वजह से उसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन व हाइकोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हैं तो यह सर्जरी की जाती है। इस ऑपरेशन से पहले मरीज की सहमति लेनी होती है कि उसे इस सर्जरी के प्रभावों के बारे में पूरी तरह से समझ आ गया है। अगर कोई व्यक्तिदिमागी रूप से स्वस्थ नहीं है या ड्रग्स आदि का नशा करता है तो उसकी सर्जरी नहीं की जाती।

मिथक : सर्जरी के बाद प्रतिबंधित खाने पर रहना पड़ता है।
सर्जरी के बाद डॉक्टर संतुलित आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें प्रोटीन ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट व फैट को कम कर दिया जाता है। बेहतर होगा कि आप पहले ही सर्जरी के बाद के खाने की आदत डाल लें क्योंकि इसकी सफलता ही इस बात पर निर्भर करती है कि मरीजपूरी तरह से डाइट चार्ट फॉलो करे। आदत बनाने के लिए मरीज को 15 दिन पहले से ही लिक्विड डाइट पर रखा जाता है।

मिथक : बेरियाट्रिक सर्जरी से प्रजनन क्षमता व नवजात पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
ऐसा नहीं है बल्कि इससे महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। इस सर्जरी के बाद जब महिला का वजन कम हो रहा हो तो उसे प्रेग्नेंसी प्लान नहीं करनी चाहिए। सर्जरी के एक से दो साल बाद ही उचित वजन होने पर डॉक्टरी सलाह से गर्भधारण करें। सही पोषण हो तो नवजात को भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है।

मिथक: सर्जरी से बेहतर है व्यायाम करना व डाइट कंट्रोल।
जब डाइट कंट्रोल और व्यायाम फेल हो जाता है तो व्यक्तिका बीएमआई 32.5 से ज्यादा हो जाता है। अगर डाइट व व्यायाम से वजन कम हो भी जाए तो वह लंबे समय के लिए नहीं होता और फिर से बढ़ जाता है। यह सर्जरी लाइपोसक्शन की तरह कॉस्मेटिक फायदों के लिए नहीं होती।

मिथक : बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद डाइट कंट्रोल की जरूरत नहीं होती।
इस सर्जरी के बाद वजन एक से दो साल में कम होता है और यह खाने में बदलाव करने की व्यक्तिगत क्षमता पर निर्भर करता है। इसमें बेहतरीन परिणामों के लिए जरूरी है कि मरीज अपनी फूड हैबिट पर मानसिक रूप से नियंत्रण रखे, तभी वह वजन कम कर पाता है।

मिथक : इस ऑपरेशन के बाद व्यक्ति कमजोर हो जाता है।
ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता। सर्जरी के बाद जरूरी है कि मरीज डॉक्टर के पास रेगुलर चेकअप के लिए जाएं और उनके द्वारा बताई गई डाइट लें। वर्ना शरीर में विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।

मिथक : बेरियाट्रिक सर्जरी से कम होने वाला वजन स्थाई होता है।
कई मामलों में मरीज वजन कम करने के बाद डाइट चार्ट को भूल जाते हैं और फिर से अपनी वही पुरानी डाइट लेनी शुरू कर देते हैं। ऐसे में उनका वजन फिर से बढऩा शुरू हो जाता है।

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