लगभग 70 फीसदी मोटे बच्चों के बड़े होकर भारी-भरकम / ओवरवेट वयस्क बनने की पूरी आशंका होती है।
परिवारजनों के दुलार-दबाव, साथियों की देखादेखी, पढ़ाई के प्रेशर-टेंशन और सदमे आदि के कारण पड़ती हैं खाने-पीने की गलत आदतें। करीब 1/3 बच्चे अपनी किशोरावस्था तक ओवरवेट या मोटे हो जाते हैं। लगभग 70 फीसदी मोटे बच्चों के बड़े होकर भारी-भरकम / ओवरवेट वयस्क बनने की पूरी आशंका होती है।
दुनियाभर के बच्चों में 30 वर्षों के दौरान बचपन का मोटापा लगभग तिगुना ऐसी लत से हृदय रोगों, डायबिटीज, स्ट्रोक और कैंसर आशंकाएं बढ़ रही हैं। विकसित हो रही दुनिया में हाई स्कूल जाने वाले 2/3 किशोर दिनभर में कम से कम एक सोडा या उनसे मिलते-जुलते मीठे पेय पी रहे हैं।
समाधान है आपके हाथ ‘स्वस्थ परिवार – सुखी परिवार के मंत्र को खाने के हर पहलू के साथ जोडि़ए। प्रारंभ में यह अटपटा, उबाऊ लगेगा लेकिन इसे अपनाना आपका भविष्य संवार देगा। जहां तक संभव हो सके दिनभर में एक बार बच्चों को अपने साथ खाना खिलाइए। खाने में साबुत अनाज, फल-सब्जियों की मात्रा ज्यादा रखिए।
बच्चों को एक्टिव बनाइए-
टीवी कम से कम देखने दें। दिनभर में 60 मिनट का शारीरिकव्यायाम बेहद
जरूरी है, भले ही किसी भी रूप में हो। बच्चों को धूप, बगीचे, धूल-मिट्टी, साइकिल, दौड़-भाग और खेल-कूद में भी रमने दें।