कितना हो गैप
पहले और दूसरे बच्चे के बीच कम से कम दो साल का गैप होना चाहिए। पहला बच्चा सर्जरी से होने पर मां के शरीर में कमजोरी आती है जिसकी पूर्ति में कम से कम दो साल का समय लगता है। यह पहले बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए भी जरूरी है।
ऐसा हो खानपान
गर्भवती महिला बैलेंस डाइट लें। आहार में हाई प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड व जरूरी विटामिंस शामिल करें।
प्रोटीन : दालें, दूध, दही, मूंगफली व पनीर खाएं। प्रोटीन गर्भावस्था के खतरों जैसे यूट्रस व शारीरिक कमजोरी को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है।
विटामिंस: विटामिन-ए, ई, बी-६ के लिए डाइट में हरी व मौसमी सब्जियां,फल व दूध लें।
आयरन: पालक, गुड़, मंूगफली, मेथी, बथुआ, ब्रोकली, तरबूज, सोयाबीन व मटर खाएं।
कैल्शियम: इसकी पूर्ति के लिए दूध और दूध से बनें उत्पाद लें। बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए भी यह बेहद जरूरी है।
फोलिक एसिड : हरी सब्जियां, दालें अपने खानपान में शामिल करें। ये लाल रक्तकोशिकाओं को बनाने में मदद करती हैं।
पानी : खानपान में ताजा फलों का रस शामिल करना न भूलें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास उबला या फिल्टर पानी पिएं। ध्यान रखिए पानी की पूर्ति से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
न हो इनमें कमी
अ क्सर पहली डिलीवरी के दौरान कई दिक्कतें सामने आती हैं जैसे हीमोग्लोबिन की कमी, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़़ाव, किडनी से जुड़ी समस्या आदि। दोबारा इन दिक्कतों से बचने के लिए डॉक्टरी सलाह लें।
एनीमिया : रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य (१०-१२) से कम होने पर आयरनयुक्त चीजों को भोजन में शामिल कर इसे सामान्य बनाया जा सकता है।
ब्लड प्रेशर : स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर सामान्य रूप से १४०/९० होना चाहिए। यदि इसमें असंतुलन हो तो तनाव से दूर रहकर और खानपान का ध्यान रखा जाना चाहिए।
ध्यान रखें : ब्लड टैस्ट, यूरिन टैस्ट और अन्य सामान्य जांचें प्रेग्नेंसी से पहले करानी जरूरी हैं। ऐसे में यदि कोई दिक्कत सामने आती है तो डॉक्टर के बताए अनुसार एहतियात बरतें।
परहेज व व्यायाम
पपीता, अनानास, अधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन व जंकफूड से परहेज करें। ब्लड प्रेशर की समस्या है तो ज्यादा नमक, अचार व पापड़ खाने से बचें। डायबिटीज हो तो मीठे से परहेज करें। मॉर्निंग वॉक व योग जैसे हल्के व्यायाम करें। भारी वजन न उठाएं। अस्थमा, हृदय रोग या डायबिटीज हो तो एक्सरसाइज से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
चार अहम सवाल
1. दोबारा सिजेरियन होगा?
पहला बच्चा सिजेरियन हुआ है और यदि कोई बड़ी दिक्कत सामने नहीं आ रही है तो अगली डिलीवरी नॉर्मल हो सकती है। लेकिन यदि महिला की पिछली दो डिलीवरी सिजेरियन हुई हंै तो तीसरी बार भी ऐसा हो सकता है।
2. सिजेरियन कब जरूरी?
डिलीवरी की तारीख निकल जाने, महिला में शारीरिक कमजोरी, ब्लड प्रेशर व यूरिक एसिड का बढऩा, गर्भस्थ शिशु की पोजिशन में बदलाव, बच्चे का सामान्य से अधिक वजन या गर्भनाल नीचे की ओर हो तो सर्जरी की जाती है।
3. दोबारा नॉर्मल डिलीवरी कब संभव होती है?
यदि पहली सर्जरी के बाद इंफेक्शन न रहा हो, प्रेग्नेंसी में कोई दिक्कत न हुई हो, सभी प्रकार की जांचें हुई हों, पहले बच्चे का वजन जन्म के समय आदर्श 3.4 किलो से ज्यादा न हो तो, ऐसे में संतुलित खानपान व नियमित व्यायाम से नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है।
4. पहले बेबी को फीड कराएं या नहीं?
बच्चे को जन्म के बाद 6-9 माह तक मां का दूध पिलाना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे उसे बोतल से फीडिंग करा सकती हैं ताकि दोबारा गर्भवती होने से पहले बच्चे की फीडिंग की आदत छूट जाए।