इसी तरह आमखेड़ा व बल्लाखेड़ी की महिलाएं भी एक ही पलंग पर भर्ती मिली। ग्राम लोहर्रा एवं छापारा की महिला भी एक ही पलंग पर भर्ती मिली। इनमें कुछ पलंग पर चादर व गद्दे नहीं थे। मरीजों के परिजनों का कहना है कि कई बोलने के बाद भी यहां कोई सुनने को तैयार ही नहीं। पलंग पर बिछाने के लिए घर से कपड़े लाने पड़े हैं।
नहीं मिलता आराम, मच्छर काटते हैं
गैलरियों में भर्ती महिलाओं ने बताया कि एक पलंग पर अपने शिशुओं के साथ दो-दो महिलाएं होने से वे आराम नहीं कर पा रही। गैलरियों में मच्छरों के कारण रात भर सो नहीं पा रहे। ग्राम लोहदर निवासी मरीज के परिजन ने बताया कि चार दिन हो गए। उनका मरीज ठीक है। घर जाना चाहते हैं लेकिन अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा रही।
गैलरियों में भर्ती महिलाओं ने बताया कि एक पलंग पर अपने शिशुओं के साथ दो-दो महिलाएं होने से वे आराम नहीं कर पा रही। गैलरियों में मच्छरों के कारण रात भर सो नहीं पा रहे। ग्राम लोहदर निवासी मरीज के परिजन ने बताया कि चार दिन हो गए। उनका मरीज ठीक है। घर जाना चाहते हैं लेकिन अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा रही।
इसलिए बने हालात
इन हालातों पर अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि मरीज पहले से दोगुने हो गए। हॉल एवं कक्ष के पलंग में मरीज पहले से भर्ती रहने एवं अधिक संख्या में नए मरीजों के आने से गैलरी में पलंग लगाने की नौबत बन रही। कर्मचारियों के मुताबिक इस वार्ड में करीब 75 पलंग है और महिलाओं की संख्या करीब 100 है। हर दिन औसतन 40 मरीज इस वार्ड में भर्ती हो रहे।
इन हालातों पर अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि मरीज पहले से दोगुने हो गए। हॉल एवं कक्ष के पलंग में मरीज पहले से भर्ती रहने एवं अधिक संख्या में नए मरीजों के आने से गैलरी में पलंग लगाने की नौबत बन रही। कर्मचारियों के मुताबिक इस वार्ड में करीब 75 पलंग है और महिलाओं की संख्या करीब 100 है। हर दिन औसतन 40 मरीज इस वार्ड में भर्ती हो रहे।
सिर्फ पांच डॉक्टर
जिला अस्पताल में तीन माह पहले इस वार्ड में जिला अस्पताल के 9 डॉक्टर पदस्थ थे। 3 महिला डॉक्टर आगामी शिक्षा के लिए बाहर चली गईं व एक संविदा महिला चिकित्सक ने नौकरी छोड़ दी। इससे अब सिर्फ पांच डॉक्टर ही हैं। अस्पताल कर्मचारियों के मुताबिक जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के भी डॉक्टर है, लेकिन उनका पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा। करीब 13 स्त्री रोग विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज के हैं, जिनसे इस वार्ड में सप्ताह में दो दिन ही सेवाएं ली जा रही।
जिला अस्पताल में तीन माह पहले इस वार्ड में जिला अस्पताल के 9 डॉक्टर पदस्थ थे। 3 महिला डॉक्टर आगामी शिक्षा के लिए बाहर चली गईं व एक संविदा महिला चिकित्सक ने नौकरी छोड़ दी। इससे अब सिर्फ पांच डॉक्टर ही हैं। अस्पताल कर्मचारियों के मुताबिक जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के भी डॉक्टर है, लेकिन उनका पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा। करीब 13 स्त्री रोग विशेषज्ञ मेडिकल कॉलेज के हैं, जिनसे इस वार्ड में सप्ताह में दो दिन ही सेवाएं ली जा रही।
अस्पताल में स्वच्छता व सुविधाएं बढऩे से प्रसूति वार्ड में पहले से अधिक मरीज आ रहे। इसलिए गैलरी में पलंग लगाना पड़े हैं। नए अस्पताल के शुरू होने पर यह समस्या दूर हो सकेगी।
-डॉ. संजय खरे, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
-डॉ. संजय खरे, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल