पांच साल पहले जंबार-बागरी की पहाड़ी को औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने क लिए खोदा गया था, वह जायज मकसद से और अनुमति लेकर किया गया था। किंतु अब जो हो रहा है, उसकी भनक तो शायद प्रशासन तक भी नहीं पहुंची होगी। जाफरखेड़ी-निमखिरिया के रास्ते में सिद्धबाबा के मंदिर के आगे कई जगह पहाड़ की तलहटी तक खनन माफिया की जेसीबी पहुंच चुकी है। जगह-जगह बड़ी तादाद में खनन शुरू हो चुका है। फिलहाल चार-पांच जगह ऐसे ठिकाने चुने गए हैं, जहां से मुरम, वोल्डर और पत्थर निकालकर पहाड़ी को खोदना शुरू किया गया है। यह वह जगह है, जहां किसी प्रकार की कोई खदान नहीं है। इसके बावजूद लोगों ने खनन शुरू कर पहाड़ को मिटाने की साजिश शुरू कर दी है। यही हाल रहा तो अब निशाने पर इस पहाड़ी की तलहटी से जुड़ी वे चट्टाने होंगी जिन पर पहाड़ टिका है। हालांकि यह काम आसान नहीं है, लेकिन मशीनों और ब्लास्ट से ज्यादा कठिन भी नहीं। पैसा कमाने के लिए अवैध रास्ते अपनाने वाले यह नहीं देखते कि कहां किसे नुकसान होगा। उदयपुर के वन क्षेत्र में चल रहीं पचासों अवैध खदानें इसी बात का प्रमाण है कि वहां पत्थर खनन के साथ ही अब पहाड़ खत्म हो रहे हैं। यही हाल पठारी हवेली के पास की पहाड़ी का है। जंबार में तो जहां खनन हो रहा है, उसके ठीक ऊपर नवविकसित औद्योगिक क्षेत्र के रोड बने हैं और स्ट्रीट लाइट के खंबे नीचे से ही दिखते हैं। लेकिन इससे किसी को कोई लेना देना नहीं। ग्रामीण बताते हैं कि यहां लोग आते हैं और कई कई दिनों तक पत्थर, मुरम और वोल्डर निकालकर ले जाते हैं। न कोई रोकने वाला है न टोकने वाला। प्रशासन और खनिज विभाग इस स्थिति से अंजान बना हुआ है।