वन समिति अध्यक्ष से 40 हजार में मैंने खरीदी है 15 बीघा वन भूमि

शपथ पत्र देकर ग्रामीण का आरोप, अध्यक्ष ने कहा था-मेरी जिम्मेदारी है,कोई कुछ नहीं कहेगा

<p>वन समिति अध्यक्ष से 40 हजार में मैंने खरीदी है 15 बीघा वन भूमि</p>
सिरोंज. करीब एक लाख बीघा वनभूमि पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा कोई ऐसे ही नहीं हो जाता। इसके पीछे वन समितियों और वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों का भी हाथ रहता है। यही कारण है कि कब्जा महीने-दो महीने से नहीं बल्कि बीस-बीस वर्ष से चला आ रहा है। वन विभाग से जुड़े लोगों के इस षडय़ंत्र में शामिल होने का खुलासा भी जब तब होता रहा है। अब चुनियाखोह के एक ग्रामीण के शपथपत्र में वन समिति अध्यक्ष पर सीधे-सीधे वन भूमि बेंच देने का आरोप लगाया है। ग्रामीण ने शपथ पत्र देकर कहा है कि मैंने वन समिति अध्यक्ष से 40 हजार रुपए में 15 बीघा वन भूमि खरीदी थी। तब अध्यक्ष ने ही कहा था कि मैंने ऊपर तक बात कर ली है, रेंज वाले कभी तुम्हें परेशान नहीं करेंगे।

चुनियाखोह निवासी बंंशीलाल बंजारा ने शपथ पत्र में कहा है कि- कक्ष क्रमांक पी-595 ग्राम खामखेड़ा तहसील सिरोंज में स्थित है। इसका रकवा 15 बीघा है। यह भूमि वन विभाग की भूमि है, जिसे मैंने वन समिति अध्यक्ष बैजनाथसिंह यादव निवासी खामखेड़ा से 40 हजार रुपए में 20 फरवरी 2016 को खरीदी थी। तभी से आज तक उक्त भूमि मेरे स्वामित्व और आधिपत्य में है। बंशीलाल ने शपथपत्र में यह भी लिखा है कि जब मैने बैजनाथसिंह से कहा कि यह वन विभाग की जमीन है, कहीं मुझे रेंंज वाले परेशान तो नहीं करेंगे? इस पर बैजनाथ सिंह ने कहा कि मैं समिति अध्यक्ष हूं, मैंने वन विभाग में ऊपर बात कर ली है। कोई कुछ नहीं कहेगा। मेरी जवाबदारी है।

गौरतलब है कि सिरोंज रेंज की वनभूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण ग्राम अमीरगढ, छापू, देवपुर और चुनियाखोह क्षेत्र में है। इन क्षेत्रों में सांठगंाठ के जरिए अवैध कब्जे किए और कराए गए हैं। पेड़ों को काटकर वर्षों से खेती की जा रही है, लेकिन ये सब वनकर्मियों और वन अधिकारियों को दिखाई नहीं देता। हालात यह हैं कि वनभूमि पर अतिक्रमण कर वर्षों से खेती करते आ रहे लोगों ने इस जंगल की जमीन पर ट्यूबवेल और कुएं भी खुदवा लिए हैं।
वर्जन…
मेरे पास 2017 के एक शपथपत्र की प्रति आई है। उसमें जिस विक्रेता बैजनाथ सिंह का उल्लेख है, उसे बुलाया गया था, अभी वह मिल नहीं सका है। इस मामले की पूरी पड़ताल कराई जाएगी।
– ओपी त्रिपाठी, रेंजर सिरोंज
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