मोदी सरकार के खिलाफ बनारस से शुरू होगा एकजुट आंदोलन, जेल जाने को भी तैयार

-वाराणसी में कामगार एवं किसान सम्मेलन में मजदूर संगठनों और जनप्रतिनिधियों की ललकार-लगाया आरोप, मोदी सरकार लोगों को बांटने का कर रही काम-चुनाव के वक्त टूट जाते हैं मजदूर संगठन- बनारस को मिला तो कुछ नहीं जो था उसे भी छीनने की तैयारी-निगमीकरण के खिलाफ रेल ट्रैक जाम का आह्वान

<p>Workers and Farmers Conference,Workers and Farmers Conference,Workers and Farmers Conference</p>
वाराणसी. केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ हांगकांग की तर्ज पर एकजुट आंदोलन छेड़ने की जरूरत है। जब तक देश का किसान, मजदूर, छात्र, जनप्रतिनिधि एकजुट नहीं होंगे तब तक किसी के हक की लड़ाई की बात बेमानी है। सरकार तो व्यक्ति -व्यक्ति में भेद करने में जुटी है। ताकि उसका कामकाज आसानी से चलता रहे। वह अपने मंसूबों को एक-एक कर पूरा करती रहे। ऐसे में छात्र, मजदूर, किसान सब को एक मंच पर आ कर इस सरकार के खिलाफ साझा बिगुल फूंकना होगा, हर किसी को जेल जाने के लिए भी तैयार रहना होगा। ये बातें रविवार को पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित कामगार एवं किसान सम्मेलन में कही गई। कहा कि यह आंदोलन वाराणसी से ही होगा, हक की खातिर जेल भी जाएंगे। आंदोलन की तिथि की घोषणा जल्द होगी।
बनारस को मिला कुछ नहीं पर अब डीएलडब्ल्यू भी छीनने का प्रयास

सम्मेलन में जुटे युवा, छात्र नेता, किसान, कामगार, बुद्धिजीवियों ने कहा कि मौजूदा सरकार श्रम कानूनों को खत्म कर रही है, निजीकरण और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन की तैयारी है। सरकार की नीतियों का परिणाम है कि देश का युवा दर-दर भटकने को मजबूर है, किसान आत्महत्या करने को विवश है। अब तो सरकारी संस्थानों का निगमीकरण कर हजारों हजार कर्मचारियों को सड़क पर लाने की तैयारी चल रही है। उनहोंने रेल उत्पादन इकाइयों को निजीकरण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पिछले पांच साल 100 दिन में दिया तो कुछ नहीं बनारस को पर पहले से जो एक कारखाना (डीजल रेल इंजन कारखान) था उसे भी निजी हाथों में देने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
होगा एक जुट आंदोलन, रेल ट्रैक जाम, एक लाख उतरेंगे सड़क पर

किसान-मजदूर सम्मेलन में जुटे कर्मचारी संगठनों के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने डीरेका कर्मचारियों का आह्वान किया कि छोटे-छोटे आंदोलन की बजाय एक घंटे का ही सही रेल ट्रैक जाम किया जाए। यह काम उत्तर प्रदेश के वाराणसी और रायबरेली दोनों जगह एक साथ हो। इतना नहीं, छोटे-छोटे सम्मेलनो और जनजागरण के मार्फत एक दिन इस वाराणसी की धरती पर एक लाख लोग सड़क पर उतरे, जेल भर दें तब समझ आएगा केंद्र सरकार को, प्रधानमंत्री को। आंदोलन ऐसे कामयाब नहीं होंगे, आंदोलन के लिए एकजुटता जरूरी है, जैसे हांगकांग ने चीन जैसी शक्ति को झुका दिया वैसे ही हम सभी को एकजुट हो कर अपने हक के लिए सड़क पर उतरना होगा। अपनी ताकत दिखानी होगी।
IMAGE CREDIT: पत्रिका
कामगारों को भी सोचना होगा, जाति-धर्म में बंटकर अपना ही कर रहे नुकसान

ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि देश के 12 प्रमुख कर्मचारी संगठन एक मंच पर है। लाखों वर्कर इन संगठनों से जुड़े हैं, चुनाव से पहले सभी अपने हक की खातिर संघर्ष करते दिखते हैं लेकिन चुनाव के वक्त कोई जाति तो कोई धर्म के आधार पर बंट जाता है। देश की सरकार इसी का फायदा उठा रही है। हमें राजनीतिक दलों की इस सोच, इस रणनीति को बदलना होगा और इसके लिए अपना हक पहले देखना होगा, जाति-धर्म को नकारना होगा।
इस सम्मेलन को हिंद मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनंस, सीटू के प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय, पूर्व सांसद, डॉ राजेश मिश्र, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार सिंह, समाजवदी विजय नारायण, कुंवर सुरेश सिंह, संजीव सिंह आदि ने संबोधित किया।
इस मौके पर एकट के जिलाध्यक्ष सतीश कुमार दीक्षित, राज्य सचिव एटक अजय मुखर्जी, किसान सभा के राज्य संयुक्त सचिव जयशंकर सिंह, सीटू के जिलाध्यक्ष शिवनाथ यादव, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष रामजी सिंह और डीएलडब्ल्यू बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे। संचालन वरिष्ठ पत्रकार, काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने किया।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.