कोरोना के मरीज़ों का इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा मरीज़ों के इलाज में जो भी चीज़े प्रयोग में लाई जाती हैं उनके निस्तारण के लिए भी कड़े नियम हैं। अस्पतालों व क्वारंटीन सेंटरों से निकले मेडिकल वेस्ट को एक विशेष पॉलिथीन बैग में इकट्ठा किया जाता है, जिसके बाद इन बैग्स को इकट्ठा कर डिस्पोज के लिये प्लांट पर भेज दिया जाता है।
कैसे होता है कोविड 19 मेडिकल वेस्ट का डिस्पोज
अस्पतालों और क्वारंटीन सेंटरों पर एक विशेष पॉलिथीन बैग में इस्तेमाल की गई पीपीई किट और दूसरी चिकित्साकीय वस्तुओं को डालकर बंद कर दिया जाता है। इसके बाद इस बैग। सबसे पहले इसे अस्पताल के कचरा घर में इस बैग को विसंक्रमित कर इस बैग को एक दूसरे बैग में डाला जाता है। बैग्स पर हाइपोक्लोराइड का छिड़काव कर विशेष वाहनों से प्लांट पर भेज दिया जाता है। प्लांट में इस कचरे को दो चेम्बरों में 850 से 1050 डिग्री तापमान पर डिस्पोज किया जाता है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
सीएमओ ऑफिस के डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि कोरोना मेडिकल वेस्ट को निस्तारित करने के लिये कड़े नियमों का पालन किया जाता है। अस्पताल से लेकर डिस्पोजल प्लांट तक ले जाने में पूरी सावधानी और मानकों का पालन किया जाता है। कोविड 19 अस्पतालों से निकले कचरे को तीन स्तर पर विसंक्रमित कर उसको डिस्पोज कर दिया जाता है।
पूर्वांचाल यहां होता है कई ज़िलों का पीपीई डिस्पोज
पूर्वांचल के सात ज़िलों के कोरोना मेडिकल वेस्ट का निस्तारण गज़ीपुर ज़िले में बने मेडिकल वेस्ट कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट में किया जा रहा है। कसिमाबाद तहसील के बांका गांव स्थित इस प्लांट में गज़ीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी, आज़मगढ़, देवरिया, अम्बेडकर नगर के कोरोना अस्पतालों से निकला मेडिकल वेस्ट का डिस्पोज हो रहा है। इस काम में कई स्तरों पर विशेष सावधानियां बरती जा रही हैं।