ज्ञानवापी मस्जिद मामले में तीन और याचिकाएं सुनवाई के लिए स्वीकार

इस मामले में सुनवाई के लिए तीन और याचिकाएँ स्वीकार कर ली गई हैं।

<p>ज्ञानवापी मस्जिद </p>
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
वाराणसी. वाराणसी की स्थानीय अदालत ने संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण का आदेश दिया है। अब इस मामले में सुनवाई के लिए तीन और याचिकाएँ स्वीकार कर ली गई हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील, एचएस जैन के अनुसार, याचिकाएँ कमोबेश एक जैसी हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख ‘कार्रवाई के कारण’ के रूप में किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस साल फरवरी में अलग-अलग तारीखों पर याचिका दायर की गई थी। स्थानीय अदालत उन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसके बाद संभावना है कि सभी याचिकाएं रद्द हो जाएँगी। एक याचिका की सुनवाई 19 अप्रैल को होने वाली है, तो अन्य दो की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
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18 फरवरी को दायर की गई याचिकाओं में से एक टाइटल सूट है। इसमें कहा गया है कि “5 कोस की प्रॉपर्टी में फैला अविमुक्तेश्वर क्षेत्र अस्थि आदि विश्वेश्वर के साथ निहित है। और देवता पूरी भूमि और संपत्ति के मालिक हैं”। याचिका में संपत्ति से अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है। याचिका में मंदिर के परिसर में अन्य देवी-देवताओं के साथ भगवान आदि विश्वेश्वर और भगवान मां शृंगार गौरी के अस्थाना मंदिर के प्रधान आसन पर ‘दर्शन, पूजा, आरती, भोग’ और अनुष्ठान के बहाली की मांग की गई है। 1669 में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान ‘ज्योतिर्लिंग’ क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन देवी माँ श्रृंगार गौरी सहित अन्य देवताओं का मंदिर परिसर में अस्तित्व बना रहा, जिसे मुसलमानों आज ज्ञानवापी मस्जिद का एक हिस्सा होने का दावा कर रहे हैं।
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एक अन्य याचिका में कहा गया है कि शिवलिंगम के उत्तर में विद्यमान गंगा के जल से भगवान आदि विश्वेश्वर के जलाभिषेक की पूजा और अनुष्ठान को बहाल करने की अनुमति दी जाए। भक्तों के माध्यम से देवता द्वारा मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें पूजा करने के अधिकार मांगे गए थे। याचिकाओं में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अपने धर्म के सिद्धांतों के अनुसार पूजा और अनुष्ठान करने का अधिकार है। किसी भी बाधा का मतलब होगा धर्म के लिए किसी के अधिकार को अस्वीकार करना।
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