15 दिन तक स्नान न करने की अपील, गंगा में डुबकी लगाई तो आ सकते हैं कोरोना की चपेट में

बीएचयू शोध केंद्र के वैज्ञानिक ने 15 दिनों तक गंगा में न नहाने की अपील की है। उन्होंने नमामि गंगे के अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर गंगा बेसिन इलाके में अलर्ट जारी करने की मांग की है।

<p>गंगा (फाइल फोटो) </p>

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. कोरोना महामारी संकट एक बार फिर लौट आया है और इस बार यह पिछली बार से अधिक तेजी से फैलकर नुकसान पहुंचा रहा है। संक्रमितों से लेकर मौतों के आंकड़े भी अब रिकाॅर्ड बना रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बीच हरिद्वार में चल रहे कुंभ को लेकर भी चिंता जतायी जा रही हैं। वहां भी लोगों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं। इस बीच वैज्ञानिकों को अब गंगा स्नान को लेकर चिंतित हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि गंगा के बहाव के सहारे वायरस ज्यादातर लोगों तक पहुंच सकता है। गंगा में स्नान से कोरोना संक्रमण फैलने का खतरे की चिंता के बीच वाराणसी के महामना मालवीय गंगा नदी विकास एवं जल संसाधन प्रबंधन शोध केंद्र बीएचयू के चेयरमैन व नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी ने आम लोगों अगले 15 दिनों तक गंगा स्नान से दूरी बनाकर रखने की अपील की है। वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता है कि कहीं गंगा बेसिन में कोराेना महामारी और भयावाह न हो जाए।

 

दरअसल कोरोना वायरस को लेकर कई दावे किये गए, सुनी सुनाई एक बात ये भी कही गई कि गंगाजल में कोरोना खत्म हो जाता है। वैज्ञानिक इसको लेकर बाकायदा शोध कर रहे हैं। शोध कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन अब तक इसके पूरा न होने से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। इस बीच देश भर में संक्रमण का प्रसार तेज होने से वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिंतित हैं। प्रो. बीडी त्रिपाठी ने न सिर्फ लोगों से गंगा से दूरी बनाकर रखने की अपील की है बल्कि उन्होंने नमामि गंगे के अधिकारियों को पत्र लिखकर गंगा बेसिन क्षेत्र में अलर्ट जारी करने की मांग भी की है। गंगा बेसिन का क्षेत्र काफी बड़ा है यह बताते चलें किगंगा हरिद्वार से लगभग 800 किलोमीटर मैदानी इलाकों से होते हुए गढ़मुक्तेश्वर, सोरो, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, रायबरेली, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, बक्सर, पटना और भागलपुर होते हुए जाती है।

 

वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस बेहद घातक है। यह सूखी सतह के मुताबले पानी में तेजी से फैलता और लम्बे समय तक सक्रिय रह सकता है। इस लिहाज से गंगा के बहाव के साथ वायरस ज्यादा लोगों तक पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जब तक गंगाजल में कोरोना वायरस के खात्मे की पुष्टि न हो जाए लोगों को गंगा स्नान और गंगा तट से दूरी बनाकर रखना बेहतर होगा।

 

प्रो. बीडी त्रिपाठी के मुताबिक रुड़की विश्विवद्यालय के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के सीनियर साइंटिस्ट डाॅ. संदीप शुक्ला भी गंगा के रास्ते संक्रमण फैलने की आशंका को लेकर चिंतित हैं। 12 वैज्ञानिकों की एक टीम बहते हुए पानी में कोरोना वायरस के सक्रिय रहने के समय पर शोध कर इस बात का पता लगा रही है कि यह वायरस पानी में कितने समय तक सक्रिय रह सकता है। शोध पूरा हो जाने के बाद ही टीम किसी नतीजे पर पहुंच सकती है।

 

कुंभ स्नान पर कोरोना की छाया

कोरोना कुंभ तक पहुंच गया है। वहां लोगों के संक्रमित होने और मौतों की खबरें भी आने लगी हैं। जानकारी के अनुसार कुंभ स्नान के बाद अब तक अखाड़ों से जुड़े करीब 40 साधू-संतों कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी, अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी अस्पताल में भर्ती हैं।49 लाख 31 हजार 343 श्रद्घालुओं ने अब तक शाही स्नान किया है। अब तक 2483 कोरोना संक्रमित मिले हैं।

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