BHU student फिर आंदोलित, नियुक्ति में मनमानी और दलितों-पिछड़ों के साथ भेद-भाव का आरोप

शिक्षक चयन प्रक्रिया को लेकर पिछले सप्ताह भी आंदोलित रहे BHU student-विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूजीसी तक से किया था संपर्क

<p>BHU</p>
वाराणसी. BHU student एक बार फिर आंदोलित हैं। सुबह से ही वो धरने पर बैठे हैं। आरोप विश्वविद्यालय में शिक्षक चयन प्रक्रिया में मनमानी का लगाया जा रहा है। सवाल वही नेट क्लियरेंस का है। इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय प्रशासन यूजीसी से गाइड लाइन भी मंगा चुका है लेकिन बात बन नहीं रही है। ऐसे में छात्र बार-बार एक ही मुद्दे पर आंदोलित हो रहे हैं।
छात्रों का आरोप है कि परफार्मिंग आर्ट डिपार्टमेंट में नियमों की मनमानी व्याख्या करके आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। छात्र कह रहे हैं कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नेट परीक्षा उतीर्ण होना अनिवार्य है, जबकि परफॉर्मिंग आर्ट्स संकाय में होने वाली नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार के लिए जो सूची बनाई गई है, उसमें कई उम्मीदवारों को इस आधार पर अयोग्य कर दिया गया गया है कि उन्होंने आरक्षित श्रेणी (ओबीसी,एससी,एसटी) में नेट क्वालीफाई किया है। उनका कहना है कि यूजीसी का ऐसा कोई नियम नहीं है। यूजीसी के नियमों के अनुसार केवल नेट क्वालीफाई होना चाहिए। ऐसे में वो इसे नियमविरुद्ध करार दे रहे हैं।
बता दें कि पिछले हफ्ते भी छात्रों ने नियुक्ति में मनमानी का आरोप लगाते हुए ही होल्कर भवन के नीचे धरना दिया था। उस वक्त छात्रों के दबाव में विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में यूजीसी से सम्पर्क किया। यूजीसी का जवाब भी आया। लेकिन उस जवाब से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। ऐसे में फिर से यूजीसी को पत्र भेजा गया।
अब सोमवार को यानी 21 अक्टूबर को धरना देने वाले छात्रों का आरोप है कि यूजीसी से स्थिति स्पष्ट नहीं हुई तो जब तक स्थिति स्पस्ट नहीं होती तब तक साक्षात्कार को रोका जाना चाहिए। लेकिन यहां तो मनमाने तरीके से साक्षात्कार शुरू कर दिया गया है। उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ओबीसी, एससी, एसटी के छात्रों को नियुक्त ही नहीं करना चाहता।
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