मां को था गले का कैंसर, बेटे ने रेकी सीखकर किया उपचार

यंगेस्ट रैकी हीलर और टैरो कार्ड रीडर आयुष गुप्ता का हुआ पाली आगमन

<p>Mother had throat cancer, son did treatment after learning Reiki</p>

बिरसिंहपुर पाली. मुंबई के रहने वाले आयुष गुप्ता देश के सबसे कम उम्र के रैकी हीलर हैं। इनके नाम सबसे युवा टैरो कार्ड रीडर का खिताब भी है। बीते महीनों में ये कोविड के कई मरीजों को भी स्वस्थ करने में सफल रहे हैं। इसके लिए वे शुल्क भी नहीं लेते। दावा है कि अब तक 400 से अधिक कैंसर समेत अन्य मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं। उन्होंने रैकी से मां के गले के कैंसर को भी ठीक किया और रैकी हीलर बन गए। अनेक सेलिब्रेटी भी इनके पास परामर्श के लिए आते रहते हैं। 18 वर्षीय आयुष को अमिताभ बच्चन के हाथों युवा रैकी हीलर का सम्मान भी मिला है। बिरसिंहपुर पाली पहुंचे आयुष गुप्ता ने प्रेस काफ्रेंस में अपने अनुभव साझा किए। इतनी कम उम्र में रैकी के प्रति रुझान कैसे हुआ, इस पर आयुष बताते हैं कि मैं सात साल की उम्र से पापा को ध्यान, साधना करते देखा करता था वे काफी आध्यात्मिक थे। उन्होंने ही मुझे मेडिटेशन सिखाया, जो अच्छा लगा। उन्होने कहा कि इसके लिए योजना नहीं बनाई थी कि रैकी या टैरो कार्ड रीडिंग में कुछ करूंगा, लेकिन मेरी मां को गले में तकलीफ हुई थी। उनका इलाज चल रहा था, डॉक्टर नहीं कह पा रहे थे कि वह ठीक हो पाएंगी या नहीं। पता चला कि उन्हें गले का कैंसर है। उनके इलाज के लिए मैंने रैकी सीखी। उसके बाद तीन से चार महीने मैंने उनकी हीलिंग की। उन्हें दोबारा चेकअप के लिए ले जाया गया, तो जांच के बाद समस्या ठीक हो चुकी थी। इससे मेरा विश्वास बढ़ गया , फिर मेरी वहीं से नई यात्रा शुरू हुई। वह मेरे लिए टर्निंग मोमेंट था। उसके बाद निश्चय किया कि स्प्रिचुअल रैकी की ही फील्ड में आगे जाकर लोगों की मदद करुंगा।

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