महाकाल की भस्म आरती के लिए बदला नियम, अब श्रद्धालुओं को करना होगा….

भस्म आरती के प्रोटोकॉल में आईडी देने को लेकर बदला नियम, पारदर्शिता लाने के लिए बदली व्यवस्था

उज्जैन. श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती करने वाले प्रोटोकॉल प्राप्त सभी श्रद्धालुओं को अपने-अपने आइडी देने होंगे। वर्तमान में जो व्यवस्था चल रही थी, उसमें पारदर्शिता का अभाव था, जिससे एक नाम की आइडी लेने के बाद उसके साथ के सभी श्रद्धालुओं की भस्म आरती अनुमति बनाई जा रही थी। प्रशासक के निर्देश बाद जिला प्रोटोकॉल अधिकारी ने व्यवस्था में बदलाव किया है। जल्द ही मंदिर का सॉफ्टवेयर भी अपडेट हो जाएगा।

ऐसे में भस्म आरती अथवा दर्शन की टिकट के लिए श्रद्धालुओं को हरिफाटक स्थित प्रोटोकॉल कार्यालय तक नहीं जाना होगा। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन तड़के 4 बजे होने वाली भस्म आरती की अनुमति के लिए अब सभी की पर्सनल आइडी लगाई जाना अनिवार्य होगा। अभी तक पुरोहित-पुजारियों द्वारा अपने श्रद्धालुओं-यजमानों की आइडी, मोबाइल नंबर देना पड़ रहा था।

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लेकिन अन्य प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालु जिला प्रोटोकॉल प्रभारी के मोबाइल पर एक श्रद्धालु की आइडी डालकर इतिश्री कर लेते थे, जबकि उनको अपने साथ भस्म आरती करने वाले सभी श्रद्धालुओं की आइडी, मोबाइल नंबर और रिफरेंस नंबर डालने चाहिए थे। इसकी जानकारी जब प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ को लगी तो उन्होंने जिला प्रोटोकॉल प्रभारी से सभी की आइडी सहित अन्य आवश्यक सामग्री डालने के बादही अनुमति जारी करने के निर्देश दिए, जो कि लागू भी कर दिए गए हैं।

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सॉफ्टवेयर भी जल्द होगा अपडेट
पिछले दिनों ऑनलाइन दर्शन अथवा भस्म आरती करवाने वालों के पैसे कट रहे थे, लेकिन उनको अनुमति नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में कई श्रद्धालु परेशान होते थे। कलेक्टर अशीषसिंह ने ऐसे श्रद्धालुओं के पैसे वापस करने को कहा था। इसके बाद व्यवस्था में बदलाव करते हुए दर्शन अथवा भस्म आरती अनुमति प्राप्त होने के बाद शुल्क हरिफाटक ओवर ब्रिज स्थित जिला प्रोटोकॉल कार्यालय में जमा करवाना शुरू करवा दिया गया था। लेकिन अब एक दो दिन में मंदिर का सॉफ्टवेयर फिर से अपडेट होगा। श्रद्धालओं को ऑनलाइन अनुमति मिलने के बाद पैसे कट जाएंगे। उनको जिला प्रोटोकॉल कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे।

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एक पुजारी का प्रवेश प्रतिबंधित
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पदस्थ गर्भगृह निरीक्षक द्वारा मंदिर के सहायक पुजारी-पुरोहित प्रतिनिधि शैलेन्द्र शर्मा की अमर्यादित आचरण करने के संबंध में शिकायत की गई। जिस पर प्रशासक धाकड़ ने प्रस्तुत आवेदन के संबंध में अन्य कर्मचारियों को बुलाकर चर्चा की। चर्चा में अधिकांशत: शैलेन्द्र शर्मा का आचरण मंदिर की गरिमा के अनुरूप नहीं पाया गया। पुष्टि उपरांत प्रतिनिधि शैलेन्द्र शर्मा को आगामी 7 दिन के लिए बतौर सहायक पुजारी/पुरोहित प्रतिनिधि के रूप में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है व भविष्य के लिए आचरण सुधारने के लिए निर्देशित किया गया है तथा आचरण में सुधार न करने की दशा में सेवाएं समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। प्रशासक धाकड़ ने कहा मंदिर का वैभव सर्वविदित है, इसलिए सभी लगातार सेवाभाव से कार्य करें। ऐसा कोई कार्य न करें, जो अशोभनीय हो, जितना हो सके सकारात्मक रूप में मंदिर की व्यवस्थाओं एवं भौतिक विकास में सहयोग करें।

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