उदयपुर

उदयपुर झील तंत्र एक महत्वपूर्ण वेटलैण्ड, संरक्षित करने की जरूरत

संवाद में बोले विशेषज्ञ

उदयपुरJul 27, 2020 / 09:00 am

Mukesh Hingar

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उदयपुर. उदयपुर की परस्पर जुड़ी झीलों द्वारा बने उदयपुर झील तंत्र को एक वेटलैंड इकाई मानते हुए इसके पारिस्थितिक संरक्षण के प्रभावी उपाय सुनिश्चित होने चाहिए। यह सुझाव रविवार को आयोजित झील संवाद में रखे गए। संवाद में विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान व पर्यावरण मंत्रालय की वेटलैंड एटलस मे उदयपुर जिले में कुल 1661 वेटलैंड बताई हुई है। इनमें 772 वेटलैंड सवा दो हेक्टेयर से कम है। उदयपुर का झील तंत्र इसमे वेटलैंड की तरह चिन्हित है। यह विशिष्ट झील तंत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की वेटलैंड प्रणाली है जिसे रामसर वेटलैंड की तरह संरक्षित करना चाहिए। इससे उदयपुर स्वच्छ, स्वस्थ होगा व रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ तेज राज़दान ने कहा कि कुछ होटल व्यवसायी व जमीनों से जुड़े लोग चाहते है कि उदयपुर का झील तंत्र वेटलैंड घोषित नही हो। क्योंकि ऐसा होने से झील की जमीनों व टापुओं पर होटल, रिसोर्ट नही बन पाएंगे, इसलिए वे हर वैज्ञानिक व कानूनी तथ्य की गलत व्याख्या कर आम जन को वेटलैंड संरक्षण पर भ्रमित करते है। जबकि, झीलो तालाबो का संरक्षण उदयपुर के विकास को स्थायी व सतत बनाएगा। झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि इस वेटलैंड प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रजाति के पक्षी, जलचर, वनस्पति उपलब्ध है। कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियां खत्म भी हुई है। अतः बहुत जरूरी है कि उदयपुर झील तंत्र को पारिस्थितिकी रूप से पुनः इसके मूल स्वरूप में लौटाया जाए। इसके लिए जंहा झीलो की मूल सीमाओं को पुनः स्थापित करना होगा ,वंही सीवरेज प्रवाह व कचरा विसर्जन को पूर्णतया रोकना होगा।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कई छोटे तालाब भी महत्वपूर्ण वेटलैंड है।रूपसागर, जोगी तालाब जैसी कई जल संरचनाएं। वेटलैंड के रूप में बाढ़ नियंत्रण व भूजल पुनर्भरण कर उदयपुर को जीवन दान देती है। उदयपुर के वर्तमान व भविष्य को बचाने के लिए छोटे तालाबो का संरक्षण बहुत आवश्यक है।
संवाद से पूर्व पिछोला के बारीघाट पर श्रमदान कर झील पर तैरती हुई पोलीथिन, घरेलू कचरा, पानी शराब की बोतलें एवं झील में पड़ी अनुपयोगी निर्माण सामग्री को बाहर निकाला गया। श्रमदान मेव रमेश चंद्र राजपूत, द्रुपद सिंह चौहान,बंटी कुमावत,तेजशंकर पालीवाल व नन्दकिशोर शर्मा ने भाग लिया।
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