महिलाओं की कमान
लूणदा व अमरपुरा जागीर ग्राम पंचायत में इस बार महिलाओं का राज होगा। तय आरक्षण के हिसाब से पुरूषों के मुकाबले महिलओं को अधिक मौके मिलेंगे। लूणदा में सरपंच पर भी सामान्य महिला की सीट आरक्षित हुई है तो वहीं पंचायत समिति सदस्य के लिए भी एसटी महिला को ही मौका मिला है। अमरपुरा जागीर में सरपंच पद के लिए एसटी महिला आरक्षित हुई तो पंचायत समिति एसटी पुरूष तय हैं। जिला परिषद् सदस्य भी एसटी महिला है। इधर, क्षेत्र के वार्ड पंचों की बात करें तो लूणदा व अमरपुरा में 5-5 महिला वार्ड पंच होंगी।
लूणदा व अमरपुरा जागीर ग्राम पंचायत में इस बार महिलाओं का राज होगा। तय आरक्षण के हिसाब से पुरूषों के मुकाबले महिलओं को अधिक मौके मिलेंगे। लूणदा में सरपंच पर भी सामान्य महिला की सीट आरक्षित हुई है तो वहीं पंचायत समिति सदस्य के लिए भी एसटी महिला को ही मौका मिला है। अमरपुरा जागीर में सरपंच पद के लिए एसटी महिला आरक्षित हुई तो पंचायत समिति एसटी पुरूष तय हैं। जिला परिषद् सदस्य भी एसटी महिला है। इधर, क्षेत्र के वार्ड पंचों की बात करें तो लूणदा व अमरपुरा में 5-5 महिला वार्ड पंच होंगी।
पूर्व में खोया प्रधान पद
वर्ष 2015 में हुए पंचायतीराज चुनाव में लूणदा व अमरपुरा जागीर के लिए एक ही वार्ड था, जहां सामान्य महिला के लिए आरक्षित था। प्रधान की सीट भी सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी, जिसमें जनता सेना से सामान्य महिला ज्योति जैन को मैदान में उतारा था। वहीं कांग्रेस से अन्य पिछड़ा वर्ग की तारा धाकड़ व भाजपा से दुर्गेश सालवी उम्मीदवार को मौका दिया था। यहां जनता सेना व कांग्रेस की बीच कड़ी टक्कर रही, जिसमें कांग्रेस की तारा धाकड़ 119 वोट से जीती। udaipur political news अगर, ज्योति जीत हालिस करने में कामयाब होती तो वह प्रधान के दावेदारों की दौड़ में सबसे आगे थी।
वर्ष 2015 में हुए पंचायतीराज चुनाव में लूणदा व अमरपुरा जागीर के लिए एक ही वार्ड था, जहां सामान्य महिला के लिए आरक्षित था। प्रधान की सीट भी सामान्य महिला के लिए आरक्षित थी, जिसमें जनता सेना से सामान्य महिला ज्योति जैन को मैदान में उतारा था। वहीं कांग्रेस से अन्य पिछड़ा वर्ग की तारा धाकड़ व भाजपा से दुर्गेश सालवी उम्मीदवार को मौका दिया था। यहां जनता सेना व कांग्रेस की बीच कड़ी टक्कर रही, जिसमें कांग्रेस की तारा धाकड़ 119 वोट से जीती। udaipur political news अगर, ज्योति जीत हालिस करने में कामयाब होती तो वह प्रधान के दावेदारों की दौड़ में सबसे आगे थी।