टेम्प्रेचर लॉगर्स बचाएगा मासूमों की जिंदगी, गड़बड़ होते ही डॉक्टर अंकल को जाएगा अलर्ट

नवजात मासूम जिनके उपचार के लिए उन्हें वार्मर्स पर रखा जाता

<p>टेम्प्रेचर लॉगर्स बचाएगा मासूमों की जिंदगी, गड़बड़ होते ही डॉक्टर अंकल को जाएगा अलर्ट</p>
भुवनेश पंड्या
उदयपुर. अब नवजात मासूम जिनके उपचार के लिए उन्हें वार्मर्स पर रखा जाता है, वह कभी झुलसेगा नहीं या झुलस कर उसकी जान भी नहीं जाएगी। सरकार ने इसके लिए एक तरीका निकाल लिया है। सरकार अब प्रदेश के बच्चों के चिकित्सालयों की विशेष यूनिट्स में लगे वार्मर्स पर ये लॉगर्स लगाने जा रही है, ताकि किसी बच्चे को उपचार के दौरान खतरे से दो चार नहीं होना पडे़। ये लॉगर्स हल्की सी गड़बड़ होने पर तत्काल संबंधित चिकित्सक के मोबाइल पर तत्काल घंटी बजा देगा।
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उदयपुर और सलूम्बर में लगे प्रदेश के सभी न्यूबोर्न केयर यूनिट, एसएनसीयू, एनआईसीयू में रेडियन्ट वार्मर्स लगाए जाएंगे। इसके लिए रियल टाइम टेम्प्रेचर मोनिटरिंग करवाई जानी है, इसके लिए ये वार्मर्स पर टेम्प्रेचर लॉगर्स लगाए जा रहे है। यूएनडीपी के संभागीय प्रोजेक्ट ऑफिसर इसका जिले में आकर इंस्टालेशन करने लगे हैं। यूएनडीपी के सहयोग से ये रेडियन्टर वार्मर्स पर लॉगर्स लगाए जा रहे हैं। उदयपुर में महाराणा भूपाल हॉस्पिटल के बाल चिकित्सालय के एसएनसीयू में १५० लगाए गए तो सलूम्बर हॉस्पिटल के शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भी १२ लॉगर्स लगाए गए।
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एेसे करेगा कामटेम्प्रेचर लॉगर रेडियन्ट वार्मर पर लगेगा। इसका नियंत्रण मोबाइल पर एप द्वारा किया जाएगा, इसे एप को संबंधित चिकित्सक द्वारा डाउनलोड किया जाएगा। इससे फायदा ये होगा कि बच्चा कभी झुलसेगा नहीं। जैसे ही उस वार्मर का तापमान ऊपर नीचे होगा तो तत्काल उसका अलर्ट डॉक्टर के पास जाएगा, ताकि उसे तत्काल बचाया जा सके।

इन दो बीमारियों के कारण भर्ती होता है बच्चा – हाइपर थर्मिया- हाइपो थर्मियाइन दोनों बीमारियों में शरीर के तापमान से अधिक या कम हो जाने पर शिशु की मृत्यु होने की संभावना रहती है। इस वार्मर में नवजात बच्चे रखे जाते हैं, ताकि सुरक्षित रहें। लॉगर के अभाव में नर्सिंग कर्मचारियों को एक-एक वार्मर पर जा जाकर नियमित तापमान की मोनिटरिंग करनी पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं रहेगी। कभी कभर स्टाफ के अभाव या नवजात की संख्या बढऩे सही तरीके से मोनिटरिंग नहीं हो पाती थी, एेसे में कई बच्चा झुलस जाता था, और कई बार मौत भी हो जाती थी। इससे बचने के लिए यह नई शुरुआत है।

सलूम्बर में १२ रेडियन्ट वार्मर पर लॉगर लगाकर एसएनसीयू प्रभारी को एप से नियंत्रण दे दिया है। घर होकर भी वे इसकी मोनिटरिंग कर सकेंगे। इस प्रक्रिया में एमबी हॉस्पिटल के अन्तर्गत गहन शिशु चिकित्सा इकाई में १५० उपकरणों पर टेम्प्रेचर लॉगर लगाए गए हैं। —पूरे प्रदेश में ये शुरुआत की जा रही है, वाकई ये तकनीकी क्रांति से कम नहीं है। इससे हर मासूम जो उपचार के लिए गहन चिकित्सा इकाई तक पहुंचता है उसकी जान बच सकेगी। डॉ अशोक आदित्य, आरसीएचओ उदयपुर
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