NATIONAL DENTIST’S DAY 2018: इन तरीकों से आप भी रख सकते हैं अपने दांतों को स्वस्थ्य और मजबूत, वीडियो

उदयपुर. दांतों की सार-संभाल को लेकर लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है, वहीं इनके उपचार के कई तरीके भी सामने आए हैं।

उदयपुर . मोतियों से जगमगाते दांत पाना सभी की हसरत रहती है मगर खानपान एवं जीवन शैली में बदलाव से अधिकतर इसे पूरी नहीं कर पाते हैं। दांतों की सार-संभाल को लेकर लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है, वहीं इनके उपचार के कई तरीके भी सामने आए हैं। एक समय था कि दंत रोगियों की संख्या गिनती की होती थी लेकिन अब सरकारी एवं निजी अस्पतालों में दांतों की जांच कराने या परामर्श लेने वालों की कतारें लगती हैं।
 

दांतों के प्रति लोग सावचेत हुए हैं। इसी का नतीजा है कि एमबी चिकित्सालय के दांतों के उपचार को लेकर चार साल पहले प्रतिदिन करीब 30 मरीज आते है जिनकी संख्या अब 70 के करीब हो गई है। आज नेशनल डेंटिस्ट दिवस पर दांतों के उपचार को लेकर हमने चिकित्सकों से चर्चा की। चिकित्सकों के अनुसार दांतों के रखरखाव को लेकर पहले जागरूकता नहीं थी, चिकित्सकों की भी कमी थे और संसाधन भी नहीं थे लेकिन इसके उलट अब कई कॉलेज खुल गए, दंत चिकित्सकों का ग्राफ बढ़ा है।
 

 

दंत चिकित्सा की तकनीकों एवं संसाधनों में काफी प्रगति हुई है। अब डिजिटल एक्स-रे होते हैं, जो हाथों हाथ मिलता है तथा रूट केनाल भी मशीन से होती है जबकि पहले मैनुअल होती थी।
चिकित्सकों का मानना है कि हमारे यहां दांतों को लेकर कोई बीमारी या दर्द हो तो उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है जिससे बीमारी बढ़ती जाती है। कई मरीजों के दांतों की जांच में सामने आता है कि मसूड़ों की बीमारी का आंकड़ा ज्यादा रहता है। डॉक्टरों की मानें तो तनाव का दांतों की सेहत पर बुरा असर होता है। तनाव के चलते कई लोग मदिरा पान और धूम्रपान शुरू कर देते हैं जिसका सीधा असर आगे दांतों पर पड़ता है।
 

 

उनके अनुसार खट्टे व अम्लीय तरल पदार्थों का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। समय-समय पर चिकित्सकों से दांतों की सफाई करवानी चाहिए। आजकल फास्ट एवं रिफाइंड फूड का उपयोग बढ़ गया है जिससे दूध के दांत भी समय से पहले गिर जाते हैं। अक्सर दातों की इन समस्या को नजरअंदाज करने पर कई तरह की बीमारियां हो सकती है। साथ ही समय से पहले दांत अपने स्थान से टूट के गिरने
लगते हैं।
दांतों की देखभाल ऐसे करें
– हल्के हाथों से दिन में दो बार दांतों के ऊपर और नीचे के हिस्से की सफाई करें। रात में फ्लाश का इस्तेमाल करना ज्यादा उपयुक्त होता है।
– शीतल पेय, डिब्बाबंद फलों के जूस, अधिक चीनीयुक्त भोजन और अम्लीय जूस का सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
– डॉक्टर्स की सलाह के अनुसार हर छह महीने या साल में एक बार दांतों की सफाई जरूर कराए, इससे मसूड़े स्वस्थ और मजबूत रहेंगे।
– यदि मसूड़ों में सूजन, खून आ जाए तो दंत चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
क्या कहते हैं चिकित्सक
आजकल देखा गया है कि धूम्रपान करने और खान-पान की अनहेल्थी आदतों के कारण युवा वर्ग और बच्चों दांतों में होने वाले रोग केविटी, सडऩ, पायरिया, मसुड़ों का फुलना और मुंह का पूरा नहीं खुलना आदि बीमारियां सामने आने लगी है। इन बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टरी परामर्श के साथ-साथ प्रतिदिन ब्रश करना आवश्यक है। छोटे बच्चों के एक दांत आने पर डॉक्टर से ब्रश कराने संबंधित परामर्श लेनी चाहिए।
– डॉ. नरेन्द्र सिंह, दन्त रोग विशेषज्ञ (एमबी चिकित्सालय)
 


सबसे ज्यादा अभी ब्रश करने का तरीका नहीं बदला है। ब्रश को कभी भी करें तो 45 डिग्री के कोण पर रखकर करें जिससे मंसुड़े की मालिश भी हो सकेगी और दंात साफ भी अच्छे से साफ हो सकेंगे। जीभ पर कीटाणु होते हैं जो बदबू का बड़ा कारण है। ऐसे में जीभ की सफाई बहुत जरूरी है। खाना खाने के बाद मीठा खाने की बजाय हमे डिटर्जेंट फूड जैसे गाजर, टमाटर, खीरा खाना चाहिए ताकि अपने आप ही दांतों की सफाई हो सके।
– डॉ. स्मिता सिंह, दंत चिकित्सक

 


दांतों से संबंधित किसी भी प्रकार की परेशानी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। दांतों की बीमारी बहुत परेशान करती है। बच्चों के दांतों की समस्याओं को भी टालना नहीं चाहिए अन्यथा वह परेशानी बढ़ती ही जाएगी। वैसे अब तकनीक भी बदल गई है ऐसे में दांत की बीमारी को पकडऩे में ज्यादा समय भी नहीं लगता है लेकिन सावधानी तो हमे रखनी ही होगी।
– डॉ. मनु बंसल, दंत चिकित्सक
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