इस बार मेहमान परिंदों ने एक महीना पहले ही दे दी दस्तक

शीत प्रदेशों में सर्दी की शुरुआत का असर, बर्ड विलेज पहुंचे प्रवासी पक्षी, दो दर्जन से अधिक प्रजातियों की आवक

<p>इस बार मेहमान परिंदों ने एक महीना पहले ही दे दी दस्तक</p>
उमेश मेनारिया/मेनार. ट्रान्स हिमालय के उस पार शीत प्रदेशों में बर्फ गिरने और सर्दी में बढ़त होने के कारण प्रवासी पक्षियों का देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचना शुरू हो गया है। इसी क्रम में उदयपुर जिले के बर्ड विलेज मेनार के जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। इस बार यहां पक्षियों की आवक करीब तीन-चार सप्ताह पहले ही हो गई है। अब तक 2 दर्जन से अधिक देसी-विदेशी प्रजातियों के पक्षी पहुंच चुके हैं।
गत साल नवम्बर के अंतिम दिनों में आगमन हुआ था। इस बार मेहमान पक्षी गत वर्ष की तुलना में 3 से 4 सप्ताह जल्दी पहुंचे हैं। अब इन पक्षियों का मार्च-अप्रैल तक यहीं बसेरा रहेगा। इस बार शीत प्रदेशों में सर्द की जल्दी शुरुआत होने से ये पक्षी जल्दी आए हैं। मेनार के जलाशयों में प्रतिवर्ष 150 से अधिक प्रजातियों के देसी-विदेशी परिंदों को देखा जा सकता है। प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद तालाब की फिजां बदलने लगी है। सुबह शाम का नजारा तो बेहद खुशनुमा हो गया है। अभी आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या शुरुआती दौर में है, लेकिन पक्षीविदों के मुताबिक जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, संख्या में इजाफा होगा।
इन प्रजातियां के पक्षी आए अभी
मेनार में 2 दर्जन से अधिक प्रजातियों के पक्षी नजर आए हैं। स्थानीय पक्षी मित्र दर्शन मेनारिया ने बताया कि बर्ड विलेज मेनार के धण्ड तालाब पर अभी तक पेलिकन्स, कॉमन क्रेन, कॉमन पोचार्ड, रडी शेल डक, येलो एंड वाइट वैगटेल्स, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रेब, लिटिल ग्रेब, नोब बिल्ड डक्स, स्पॉट बिल्ड डक्स, लेसर व्हिसलिंग डक्स, नॉर्दन पिनटेल, जकाना, कॉरमोरेंट्स, पर्पल स्वाम्प हेन, पर्पल एंड ग्रे हेरन, ओपन बिल्ड स्टोर्क, स्पूनबिल, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रेड नेप्ड आइबिस, कॉमन कूट, कॉमन मूरहेन सारस पक्षी आए हैं।
इस बार जिले के अलग-अलग जलाशयों पर सितम्बर के अंतिम दिनों में पक्षी आना शुरू गए थे, जो करीब 3 सप्ताह जल्दी आ गए हैं। इसका मतलब वहां सर्दी शुरू हो चुकी है। इनके आने की तिथि वहां की सर्दी से तय होती है और जाने की तिथि हमारे यहां की गर्मी से। ये प्रवासी पक्षी ट्रान्स हिमालय के उस पार मंगोलिया, यूरोप, साइबेरिया एव कुछ हिमालय के ऊपरी चाइना और तिब्बती क्षेत्रों से भारत आते हैं। जब वहां बर्फ पडऩे के कारण जलीय व थलीय भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता तब ये उड़ान भर लेते हैं।
सतीश शर्मा, वन्य जीव विशेषज्ञ, उदयपुर
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