प्रदोष काल 6.49 से रात्रि 9.13 बजे तक होलिका दहन करना रहेेगा श्रेष्ठ, धूलंडी कल

कोविड नियमों की पालना के साथ मनाएं त्योहार, इस बार भद्रा का साया नहीं, होलिका में नारियल के अलावा कपूर डालने से होगा वातावरण शुद्ध

उदयपुर. फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर रविवार को होलिका दहन किया जाएगा, वहीं अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा सोमवार को धूलंडी पर रंग खेला जाएगा। इस बार होलिका दहन में भद्रा बाधक नहीं बनेगी। ऐसे में गोधूलिवेला से रात तक किसी भी शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया जा सकेगा। होलिका दहन पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग भी रहेंगे। वहीं, इस बार कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लोगों को कोविड 19 प्रोटोकॉल के तहत ही ये त्योहार मनाना होगा। होलिका दहन पर सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क के साथ ही पूजा-अर्चना करें। वहीं, होली का त्योहार घर पर अपनों के बीच ही मनाएं तो सभी के लिए सुरक्षित रहेगा।
प्रदोष काल में होगा दहन

होलिका दहन पर इस बार भद्रा सुबह से लेकर दोपहर तक ही रहेगी। दोपहर बाद भद्रा नहीं रहेगी। ऐसे में होलिका दहन में ये इस बार बाधक नहीं बनेगी। वहीं, इस दिन सुबह से सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा व शाम से अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। ऐसे में इन दोनों योग का होना शुभ है। पं. जितेंद्र त्रिवेदी जोनी के अनुसार, होलिका दहन हमेशा पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में किया जाता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 28 मार्च रविवार सायं प्रदोष काल 6.49 बजे से रात्रि 9.13 बजे तक रहेगा।
साथ ही वर्तमान में कोरोना से बचने के लिए होलिका में कपूर डालना भी शुभ रहेगा ताकि दूषित पर्यावरण को शुद्ध बनाया जा सके। होलिका दहन में होली का पर्व मनाते समय सरकार की गाइड लाइन का भी पूर्ण रूप से पालन करें।
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