वहां पर प्रतिवर्ष होलिका का दहन नारियल में किया जाता है । होली की पूर्व संध्या से ही वहां पर भक्तों का पहुंचना शुरू हो जाता है । होली के दिन डूंगरपुर, खेरवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा सहित अन्य जिलों के हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं, शाम होते होते करकेला धाम पर पांव रखने की जगह नहीं मिलती है । हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होकर पारंपरिक नृत्य गैर खेलते हुए होलिका का दहन करते हैं।
भक्तों द्वारा होलिका दहन के लिए नारियल और चुनरी भेंट कर अपनी मन्नतें मांगते हैं और भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैंं। इस क्षेत्र में सबसे पहले होली का दहन यहीं पर होता है और इसकी लौ देखने के बाद अन्य जगह पर होलिका का दहन होता है।